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पूरे प्रदेश से हटकर शहरवासियों पर 18 स्लैब में नगर निगम ने लगाया कर, एमएसडब्ल्यू को हर माह 40 लाख रुपये का भुगतान

नगर निगम के स्वच्छता अभियान की शहर में क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं है। जगह-जगह गंदगी का अंबार और अव्यवस्था से पूरा शहर घिरा है। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम शहर वासियों से करोड़ों रुपये स्वच्छता कर वसूल रही है, लेकिन इसे बगैर परिषद से पास कराए ही थोप दिया गया है। इसे परिषद तक ले ही नहीं गए।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Oct 14, 2019

Sanitation tax imposed arbitrarily in Katni city

Sanitation tax imposed arbitrarily in Katni city

कटनी. नगर निगम के स्वच्छता अभियान की शहर में क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं है। जगह-जगह गंदगी का अंबार और अव्यवस्था से पूरा शहर घिरा है। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम शहर वासियों से करोड़ों रुपये स्वच्छता कर वसूल रही है, लेकिन इसे बगैर परिषद से पास कराए ही थोप दिया गया है। इसे परिषद तक ले ही नहीं गए। वहीं पूरे प्रदेश में कहीं पर भी 18 स्लैब में मनमाना स्वच्छता कर नहीं लगाया गया, लेकिन कटनी नगर निगम की मनमानी जारी है। 30 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये मासिक स्वच्छताकर वसूला जा रहा है, जबकि महानगरों में 3 रुपये से लेकर 5 रुपये प्रतिदिन तक ही स्वच्छताकर अधिरोपित किया गया है। ताज्जुब की बात तो यह है कि शहर वासियों से वसूले गए स्वच्छताकर सहित निगम कोष से डोर-टू-डोर कचरा एकत्रित कर उसका निपटान करने वाली कंपनी एमएसडब्ल्यू को हर माह 35 से 40 लाख रुपये की भुगतान किया जा रहा है। बता दें कि नगर पालिक निगम 1956 के अनुसार मेयर इन काउंसिल को कर अधिरोपित करने का अधिकार नहीं है, इसके बाद भी कटनी में मनमाने तरीके से करारोपण किया गया है।

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यह है टैक्स के 18 स्लैब
आवासीय का 30 रुपये, छोटी दुकान, हाथ ठेला 30 रुपये, बड़ी दुकान 100 रुपये, सामान्य होटल 200 रुपये, बड़ी होटल 500 रुपये, ठहरने का होटल/विश्राम गृह एक हजार रुपये, मैरिज गार्डन प्रति आयोजन 2 हजार रुपये, सभी चिकित्सालय/नर्सिंग होम एक हजार रुपये, व्यवसायिक कार्यालय, सर्विसिंग स्टेशन 5-5 सौ रुपये, ऑटो मोबाइल शो रूम दो हजार रुपये, बैंक एक हजार, कोचिंग सेंटर 300, ब्यूटी पॉर्लर 100 रुपये, निजी स्कूल 500 रुपये, टिम्बर मर्चेंट-मिल एक हजार रुपये, रेलवे स्टेशन व टंचिंग ग्राउंड उपयोग शुल्क 10-10 हजार रुपये लगाया गया है।

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परिषद में नहीं गया प्रस्ताव
मेयर इन काउंसिल द्वारा शहर वासियों पर जो स्वच्छता कर थोपा गया है वह बगैर परिषद में मुहर के ही लगा दिया गया। नगर निगम द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उपभोक्ता प्रभार अधिरोपित करने मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 132 क (1) ग में प्रावधान किया गया है। इसे लागू करने के लिए परिषद में लाया जाना आवश्यक था।

खास-खास:
- 28 नवंबर 2016 के निर्णय अनुसार व स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 के मुताबिक परिषद में ले जाना था बिल, नहीं लेजाया गया।
- 2018 में 93 लाख रुपये स्वच्छताकर की वसूली नगर निगम ने की थी, अभी तक 20 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है वसूली।
- अक्टूबर 2015 से कटनी में शुरू हुआ है डोर-डोर टू कचरा कलेक्शन का काम, इसी के बदले दिए जा रहे एमएसडब्ल्यू को करोड़ों रुपये।
- कंपनी का काम डोर-डोर टू कचरा कलेक्शन, ट्रांसपोर्टिंग, कचरा कलेक्शन, कचरे का निष्पादन है।

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नगर निगम के पास नहीं आंकड़ा
नगर निगम स्वच्छताकर की वसूली सिर्फ अंदाज में कर रहा है। लगभग 50 हजार आवासीय मानकर स्वच्छता कर की वसूली हो रही है। बैंक, टिम्बर मर्चेंट, ऑटो मोबाइल, चिकित्सालय, मैरिज गार्डन आदि को लेकर संख्या की स्थिति स्पष्ट नहीं है। सिर्फ आम नागरिकों पर स्वच्छता शुल्क थोपकर एमएसडब्ल्यू का खजाना भरा जा रहा है।

इनका कहना है
एमआइसी के निर्णय अनुसार ही स्वच्छता शुल्क लगाया गया है। अधिक शुल्क प्रतिष्ठानों में ही है, आवासीय में तो कम है। परिषद से प्रस्ताव इसलिए पास नहीं कराया गया क्योंकि एमआसी से हो गया है।
सुरेंद्र मिश्रा, नोडल अधिकारी, नगर निगम।