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CG Election 2025: पंचायत और निकाय चुनाव में जातीय समीकरण को साधने में जुटे दल, पदाधिकारियों में कर रही फेरबदल

Election 2025: गांव से लेकर नगर और शहर तक धीरे-धीरे अब चुनावी रंग जमने लगा है। गांव में पंच, सरपंच और सदस्य तो नगर और शहर में कौन से वार्ड से कौन उम्मीदवार होगा। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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CG Election 2025

CG Election 2025: कबीरधाम जिले में नगरीय निकाय व पंचायत को लेकर रणभेरी कभी भी बज सकती है। इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। चुनाव को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय नजर आ रहे हैं।

चुनाव से पहले दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने के लिहाज से महत्वपूर्ण बदलाव कर रहे है। इसमें अन्य पदाधिकारियों के अलावा जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं। भाजपा ने कवर्धा में अपना जिलाध्यक्ष बदल लिया है अब बारी कांग्रेस की है। प्रदेश में सत्तासीन भाजपा ने अपना जिलाध्यक्ष डेढ़ साल में ही बदल दिया है।

विधानसभा चुनाव के ठीक कुछ माह पहले ही भाजपा ने पूर्व विधायक अशोक साहू को जिलाध्यक्ष बनाया था, जिसे बदलकर उनकी जगह पिछड़ा वर्ग से ही आने वाले संघ के करीबी राजेन्द्र चंद्रवंशी को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। जिस पर आने वाले पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी होगी। साथ ही सत्ता व सगंठन में तालमेल बिठाना होगा, नहीं तो अलग-अलग थड़े में बंटे पार्टी को एकजुट कर पार्टी के पक्ष में बेहतर परिणाम लाने की जरूरत है।

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जिले में कांग्रेस पार्टी ने भी विधानसभा चुनाव के पहले जिलाध्यक्ष को बदला था। नीलकंठ चंद्रवंशी की जगह होरीराम साहू को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। कांग्रेस ने प्रदेश में कई जिलों के अध्यक्ष बदले है। ऐसे में कवर्धा में भी पार्टी जिलाध्यक्ष का बदलाव कर सकती है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। जिले की दोनों विधानसभा में पार्टी को करारी हार मिली थी, जिसमें कवर्धा व पंडरिया विधानसभा में भाजपा को विजय मिली थी। अब पार्टी की साख बचाने के लिए नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में जीत का सिलसिला जारी रखना होगा।

यहां पर भी बदलाव

हालांकि कांग्रेस की ओर से भी बदलाव किया जा चुका है। नगरीय निकाय के पूर्व ही नगर पालिका के पार्षद अशोक सिंह को कवर्धा शहर के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इससे यह तय हो गया कि कवर्धा नगरीय पालिका में इनके ही नेतृत्व में ही पार्षद और अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ी जाएगी। पिछला चुनाव कांग्रेस ने सत्ता में रहते लड़ा था, लेकिन अब विपक्ष में है जिससे चुनौती बढ़ गई है।