
कुदरत की गोद में बसी हसीन वादियां (फोटो सोर्स - पत्रिका)
CG Tourism: बारिश के बीच जिले के पर्यटन स्थलों खूबसुरती बस देखते ही बन रही है। चाहे वह सरोदा दादर हो, या पीड़ाघाट, या फिर कोई भी जलप्रपात। लोग परिवार के साथ वहां पहुंचकर इसका आनंद ले रहे हैं, लेकिन थोड़ी तकलीफ के साथ। क्योंकि पहुंच मार्ग बेहद खराब है।
कबीरधाम जिले में प्राकृति व पर्यटन क्षेत्रों की कमी नहीं है। कमी है तो बस उस स्थान को बढ़ावा देने की। ढेर सारे पर्यटन स्थल होने के बाद भी पर्यटक केवल भोरमदेव मंदिर तक सीमित हो चुके हैं। क्योंकि अन्य पर्यटन स्थालों का न प्रचार-प्रसार होता है न उस क्षेत्र को विकसित किया जाता है। यहां तक पक्का रास्ता भी नहीं है जिसके कारण स्थानीय लोग भी नहीं जाते। कबीरधाम जिले में ढेरों धार्मिक स्थल है।
11वीं शताब्दी की प्रतिमाओं के अलावा पचराही में करोड़ों वर्ष पूर्व के जीवाश्म मिल चुके हैं। इसके अलावा पर्यटन क्षेत्र में झरना, गुफाएं, पहाड़ों की श्रृंखला, सनसेट पाइंट, प्राकृतिक चुंबकीय क्षेत्र सहित ढेरों स्थल है जो पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यदि उन क्षेत्रों को थोड़ा भी विकसित किया जाना बेहद आवश्यक है जिससे कि पर्यटकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हो सके। इससे जिले का नाम तो होगा ही, साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
बोड़ला ब्लॉक का रानीदहरा जसे तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा है और एक ओर काफी ऊंचाई से जलधारा गिरती है। यह दो हिस्सों में है। बरसात के समय तो इसकी सुंदरता और भी निखर जाती है। आज इसे देखने के लिए कई जिले के पर्यटक पहुंचते हैं। सुरक्षा की कमी के कारण यहां पर हादसे भी होते हैं। सुरक्षा व्यवस्था के साथ विकास कार्य किए जाए तो इससे बेहतर पर्यटन स्थल जिले में बमुश्किल मिले। वहीं सरोदादार है कुछ दूरी तक पक्का रास्ता है। बाकी रास्ता कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है।
जिले के अधिकतर पर्यटन स्थल के लोगों को जानकारी ही नहीं है। कारण एक ही है कि प्रशासन स्तर पर इन पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार ही नहीं कराया जाता। न कोई बोर्ड दिखाई देंगे न ही प्रवेश द्वार। अन्य जिले से पहुंचने वाले पर्यटक भी ढूंढते व पूछते हुए ही वहां तक पहुंचते हैं। जबकि जगह-जगह सूचनात्मक बोर्ड लगा होना चाहिए। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
पंडरिया ब्लॉक के वनांचल में पर्यटन के लिए बहुत ही अच्छी जगह है। इसमें नरगिस झोझा, लइका बुडान, गोद गोदा, आगर नदी उद्गम, भैसाओदार, अंगद माडा, तीन नदियों का संगम, सारपानी जलप्रपात, आगर नदी जलप्रपात, पोलमी सरेगाह जलप्रपात जैसे कई स्थान मौजूद हैं। दिक्कत है तो वहां तक पहुंच मार्ग की। कच्चे रास्तों से होकर पहुंचना पड़ता है। कई ऐसे स्थान हैं जहां पर केवल बाइक ही जा सकती है।
पर्यटन क्षेत्रों के विकसित होने से जहां एक ओर जिले का नाम प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचेगा, वहीं स्थानीय ग्रामीणों को बेहतर रोजगार की सुविधा उपलब्ध होगी। पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए वाहन, गाइड की पूर्ति होगी। पर्यटन स्थल पर ही नाश्ता व खाने की सुविधा।
Published on:
28 Jul 2025 12:46 pm
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