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‘सस्ता विदेशी गेहूं-चना आया तो किसान बर्बाद’, नेता ने सरकार को दी बड़े आंदोलन की चेतावनी

MP News: राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चेताया कि सरकार के WTO समझौते और आयात नीतियों से देशी किसान बाजार से बाहर हो जाएंगे। समर्थन मूल्य बंद हुआ तो बड़ा आंदोलन होगा।

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खरगोन

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Akash Dewani

Sep 20, 2025

foreign import farmers indian government free trade agreement mp news

foreign import farmers indian government free trade agreement (फोटो- सोशल मीडिया)

free trade agreement: अगर चीन-अमेरिका से सस्ता गेहूं, चना, दूध या जीएम फसलें भारत में आने लगीं, तो देशी किसान बाजार से बाहर हो जाएंगे। भारत सरकार का मुक्त व्यापार समझौता (free trade agreement) देश की खेती-किसानी के लिए खतरा है। यदि समझौता होता है, तो यह हमारे किसानों को बर्बाद कर देगा।

सरकार ने 14 देशों से चोरी, छिपे डब्ल्यूटीओ समझौता (WTO Deal) किया है, जिसके चलते आगामी दिनों में सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी करना बंद कर सकती है। यह समझौते में शर्त है। यदि सरकार ऐसे समझौते रद्द नहीं करती है तो देश में फिर बड़ा किसान आंदोलन करने को बाध्य होंगे। सरकार की रीति-नीतियों पर चिंता व चेतावनी देते हुए यह बात शुक्रवार को राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव कुमार कक्का ने कही। (MP News)

कर्ज मुक्त महासभा एवं रैली में शामिल हुए कक्का

वे यहां कृषि उपज मंडी में आयोजित कर्ज मुक्त महासभा एवं रैली में शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने जिला, प्रदेश, राष्ट्रीय एवं और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात रखते हुए सरकार की नीतियों, योजनाओं पर जमकर सवाल उठाए। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रविदत्त ठाकुर, प्रांताध्यक्ष रामेश्वर सिटोका, जिलाध्यक्ष किशोर पाटीदार, जगदीश यादव दुर्गापुर, दुलचंद विरले खामखेड़ा आदि मौजूद थे। सभा को महामंत्री सीताराम इंगला, रामेश्वर गुर्जर ने भी संबोधित किया। (MP News)

कपास खरीदी नहीं तो चक्काजाम

सभा में वक्ताओं ने चेतावनी दी गई कि 10 अक्टूबर से समर्थन मूल्य पर कपास खरीदी शुरु नहीं हुई तो पर हाइवे पर चक्काजाम किया जाएगा। यह प्रदर्शन किसानों का होगा, लिहाजा उनके परिवार भी सड़क संभालेंगे। (MP News)

22 उ‌द्योगपतियों का कर्जा माफ तो किसान अछूते क्यों?

कर्ज मुक्त महासभा में प्रदेश महामंत्री गोपाल पाटीदार ने कहा- किसानों के कर्ज माफी की बात आती है तो सरकार सदन में कहती है कि किसानों ने कोई आवेदन नहीं दिया। अगर किसानों ने आवेदन नहीं दिया तो 22 उ‌द्योगपतियों ने कहा आवेदन किया। उनके सरकार ने हजारों करोड़ रुपए माफ कर दिया।

800 ट्रैक्टर पर सवार हजारों किसान पहुंचे कलेक्टोरेट

महासभा के बाद किसानों ने रैली निकाली। 9 विकासखंडों से 500 गांव के किसान 800 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली, बाइक लेकर शामिल हुए। रैली मंडी से निकलकर कलेक्टोरेट पहुंची। यहां मांगों को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों की अधिक संख्या के चलते भूसावल-चित्तौड़गढ़ हाइवे पर जाम लगा।

कपास उत्पादन बंपर, फिर आयात की जरूरत क्या

कक्का ने हाल ही में कपास निर्यात पर शुल्क लेने पर नाराजगी जताते हुए कहा देश में भारी मात्रा में कपास होता है, फिर आयात की क्या जरुरत पड़ी। अमरीका की भारी सब्सिडी वाले उत्पादों के आने से घरेलु कृषि उत्पादों की कीमतें गिरेंगी। यह नीति भारत की खाद्य संप्रभुता को खतरे में डाल देगी। (MP News)

पत्रिका से की बातचीत

खरगोन पहुंचे राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव कुमार कक्का ने पत्रिका से विशेष बातचीत की। इसमें उज्जैन सिंहस्थ को लेकर 17 गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहण मामले व फसल बीमा योजना पर उन्होंने पत्रिका से खुलकर अपनी बात रखी।

सवाल 1- कपास के आयात पर शुल्क जीरो किया है, इससे क्या होगा?

जवाब- कपास के आयात शुल्क जीरो कर दिया है। इससे किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। कपास के व्यापारी अमेरिका के व्यापारियों से संपर्क करेंगे। बड़े पैमानें पर कपास अमेरिका से आएगा। यहां के कपास के दाम में गिरावट होगी।

सवाल 2- फसल बीमा के नाम पर किसान प्रीमियम जमा करते हैं, लाभ नहीं मिलता?

जवाब- फसल बीमा योजना किसानों के लिए नहीं है। यह कंपनियों के लिए हैं। पहली बार जब फसल बीमा आया था तो 27 हजार करोड़ का प्रीमियम जमा किया था। हमको केवल डेढ़ हजार करोड़ का भुगतान हुआ। इसमें उन कंपनियों को लाभ है जो सरकार द्वारा पोषित है।

सवाल 3- उज्जैन सिंहस्थ को लेकर सरकार 17 गांवों के किसानों की जमीनें अधिग्रहित कर रही है, क्या कहेंगे?

जवाब- लैंड पुलिंग में सरकार ने कहा है 17 गांवों को जमीन अधिग्रहित करेंगे। ग्राम सभा की बगैर अनुमति के राष्ट्रपति भी गांव की एक इंच जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकता। अभी सरकार ने वहां के सरपंचों को डराकर यह निर्णय पास करा लिया है। मगर यह लड़ाई सडक़ पर होगी। संगठन ने कार्य योजना बनाई है। इसमें साफ कहा है कि सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो सिंहस्थ का बहिष्कार भी करना पड़े तो करेंगे। देश के किसी व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने देंगे।