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लाखोटिया उद्यान में कवि सम्मेलन आज

locationकोंडागांवPublished: Oct 16, 2016 10:30:00 am

Submitted by:

rajendra denok

काव्य पाठ के माध्यम से स्वच्छता का भी संदेश देंगे

पाली. हास्य व व्यंग्य रस की फुहार से रविवार रात लाखोटिया उद्यान गुलजार होगा। पानी से घिरे लाखोटिया गार्डन के रंगमंच पर पत्रिका समूह व पाली नगर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कवि हास्य, व्यंग्य, वीर रस और शृंगार रस की रचनाएं सुनाएंगे। फिएट व बांगड़ सीमेंट की प्रस्तुति व पॉवर्ड बाय श्री सीमेन्ट व विमल पान मसाला के इस आयोजन में कवि काव्य पाठ के माध्यम से स्वच्छता का भी संदेश देंगे। इसे लेकर लाखोटिया उद्यान में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभापति महेन्द्र बोहरा ने बताया कि पत्रिका समूह के साथ मिलकर जेएसएफ का यह अनूठा कार्यक्रम है, जिसमें काव्य रचनाएं सुनने के लिए हर शहरवासी आतुर हैं।
इनकी रहेगी सहभागिता 

भवानी ऑटोमोबाइल्स, होटल सिद्धार्थ की सहभागिता रहेगी। गिफ्ट पार्टनर बीसीएम प्रॉपर्टीज, मिलन ज्वैलर्स व ओम साईं बजाज होंगे।

ये कवि करेंगे काव्य पाठ 

जयपुर निवासी हास्य व व्यंग्यकार सम्पत सरल, दिल्ली निवासी हास्य व व्यंग्य कविता लिखने वाले महेन्द्र अजनबी, कोटा निवासी शृंगार रस के कवि दुर्गादानसिंह गौड़, मुम्बई के हास्य कवि दिनेश बावरा तथा भीलवाड़ा शाहपुरा के रहने वाले राजस्थानी हास्य कवि दिनेश बंटी रचनाएं सुनाएंगे।
सजा लाखोटिया रंगमंच

सम्मेलन को लेकर लाखोटिया रंगमंच को आकर्षक सजाया गया है। रंगमंच पर कवियों के बैठने के लिए मंच के साथ श्रोताओं के बैठने की शानदार व्यवस्था की गई है। रंगमंच पर आकर्षक लाइटें भी लगाई गई हैं। 
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अच्छे कवि-कविताओं की कद्र कम नहीं हुई

पाली. बाजारवाद, सोशल मीडिया की सक्रियता के बावजूद अच्छे कवि और अच्छी कविता की कद्र कम नहीं हुई है। यह कहना है उन कवियों का जो लाखोटिया उद्यान में जेएसएफ और नगर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को हास्य व व्यंग्य की रचनाएं सुनाएंगे। वे इतना जरूर मानते हैँ कि आज के श्रोताओं की सोच में टीवी, इंटरनेट ओर सोशल मीडिया के कारण कुछ बदलाव जरूर आ गया है। इसके बावजूद अच्छा सुनने वाले और अच्छा लिखने वाले कवियों की कमी नहीं हैं। अच्छे कवियों की रचनाएं सुनने के लिए ही कवि सम्मेलनों में श्रोता उमड़ते हैं। 
अच्छी कविता सुनी और सराही जाती है-बावरा 

आज भी अच्छी कविताएं लिखी व सुनी जा रही है। मेरा निजी मत है कवि सम्मेलनों में भी बाजारवाद भी आ गया है। इस कवि सम्मेलन में राजस्थान पत्रिका ने जिन कवियों को आमंत्रित किया है, उनमें कविता का तत्व है। वे नैतिकता व मौलिकता के साथ लिखने वाले हैं।
(परिचय – मुम्बई के रहने वाले दिनेश बावरा हास्य कविताएं सुनाते हैं। ये हिन्दी, मराठी, अंग्रेजी व भोजपुरी भाषा के अच्छे जानकार हैं।)

राजस्थानी का शब्द कोष व्यापक – बंटी

राजस्थानी का शब्द कोष व्यापक है। दस करोड़ से अधिक श्रोता हैं, लेकिन राजस्थानी में कविता लिखने वाले कम हंै। मेरी राजस्थानी में लिखी ‘पंचायती नोहराÓ कविता को तीन लाख से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं। कविता लिखने के लिए गहन अध्ययन व परिस्थितियों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
 (परिचय-दिनेश बंटी भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा के रहने वाले हैं। हास्य रस की कविताएं राजस्थानी व हिन्दी में लिखते हैं।)

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