इस शिवलिंग के विषय में किवंदती प्रचलित है कि एक स्थानीय आदिवासी को स्वप्न में स्वयं भगवान शिव ने यह बात बताई कि ईंट के टीले के ऊपर शिवलिंग मौजूद हैं। जब टीले की मिट्टी हटाई गई तो यह शिवलिंग मिला। पुरातत्व वेत्ताओं के मुताबिक इस स्थान पर प्राचीन मंदिर स्थित था, जो कालांतर में ध्वस्त हो गया। टीले के नीचे ईंट निर्मित संरचनाओं का पता चलता हैं। इस स्थल की भारतीय पुरातत्व संरक्षित घोषित किया हैं। राज्य सरकार ने भी इसे राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया हैं, लेकिन इस स्थल की खुदाई और संरक्षण के विषय में गंभीर पहल अब तक नहीं हुई। इस स्थान के आस पास नौ मंदिरों के भग्रावशेष मिले हैं। साथ ही लगभग दो दर्जन प्राचीन टीले मौजूद हैं।