
CG Coal News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के कोयला खनन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इसका असर बिजली घरों को होने वाले कोयले की आपूर्ति पर भी दिखने लगा है। बड़ी मुश्किल से कंपनी 24 घंटे में लगभग 50 रैक कोयला ही बिजली घरों तक पहुंचा पा रही है।
CG Coal News: खनन में आई गिरावट का बड़ा कारण जमीन का संकट बताया जा रहा है। कोरबा जिले में कोल इंडिया की तीन मेगा प्रोजेक्ट हैं। इसमें गेवरा, दीपका और कुसमुंडा शामिल हैं। वर्तमान में कोयला खनन के लिए स्थानीय प्रबंधन को जितनी जमीन की जरूरत है वह नहीं मिल पा रहा है। इस कारण उत्पादन में कमी आ रही है और इसका असर कंपनी के सेहत पर भी दिखाई दे रहा है। पूर्व में एसईसीएल अपनी कोयला खदानों से रोजाना 60 से 70 रैक तक कोयला रेलमार्ग के रास्ते बिजली घरों तक पहुंचाता था।
CG Coal News: इसमें कोरबा कोलफील्ड्स की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होती थी। कोरबा फील्ड से 40 से 45 रैक कोयला 24 घंटे में निकलता था। मगर जमीन की कमी के कारण परिस्थितियां बदल गई हैं। तीनों मेगा प्रोजेक्ट गेवरा और दीपका से बमुश्किल 17 से 19 रैक माल बिजली घरों को दिया जा रहा है। जबकि पूरा एसईसीएल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्थित अपनी कोल साइडिंग से 50 रैक कोयला भेज पा रहा है। खनन में आई गिरावट के कारण कंपनी को जहां आर्थिक नुकसान हो रहा है वहीं बिजली घरों को उनकी जरूरत के अनुसार कोयला नहीं मिल रहा है।
जमीन की बाधा को दूर करने प्रदेश सरकार के संपर्क में कंपनी के अफसर: इधर जमीन की किल्लत को दूर करने के लिए एसईसीएल टेक्निकल टीम के अफसर प्रदेश सरकार के संपर्क में हैं। उनकी कोशिश है कि मेगा प्रोजेक्ट में चल रही जमीन की समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए ताकि कोयले की मांग को पूरा किया जा सके।
उत्पादन को लेकर सबसे खराब स्थिति कुसमुंडा प्रोजेक्ट की है। ग्रामीणों के विरोध के कारण कंपनी अधिग्रहित जमीन पर काम शुरू नहीं कर पा रही है इसके कारण कई मशीनें खड़ी हैं। कुसमुंडा को इस माह के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रोजाना एक लाख 21 हजार टन कोयला खनन की जरूरत है। इसके विरूद्ध स्थानीय प्रबंधन 50 हजार टन कोयला निकाल पा रहा है
यानि लक्ष्य का एक तिहाई कोयला खदान से बाहर आ रहा है। दीपका की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। औसत 73 हजार टन कोयला खनन रोजाना यहां से किया जा रहा है जो लक्ष्य से लगभग 17 हजार टन कम है। खनन के मामले में गेवरा की स्थिति दीपका और कुसमुंडा से अच्छी है। यहां से रोजाना लगभग डेढ़ लाख टन कोयला खनन हो रहा है, जो लक्ष्य से पांच हजार टन ज्यादा है। इसी कोयला के बदौलत कंपनी को थोड़ी राहत मिल रही है।
तिथि रैक से आपूर्ति लोडिंग
15 अक्टूबर 43 47
16 अक्टूबर 52 49
17 अक्टूबर 48 50
18 अक्टूबर 48 48
19 अक्टूबर 52 51
20 अक्टूबर 47 47
21 अक्टूबर 51 52
22 अक्टूबर 54 55
23 अक्टूबर 49 47
24 अक्टूबर 47 48
25 अक्टूबर 41 44
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ.सनिषचंद्र ने जहा की कंपनी पूरी क्षमता से कोयला खनन कर रही है। बिजली घरों को उपलब्धता के अनुसार कोयला दिया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में खनन के लिए जमीन की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है।
Updated on:
27 Oct 2024 11:12 am
Published on:
27 Oct 2024 11:11 am
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