
रेडियोलॉजिस्ट लंबी छुट्टी से नहीं लौट रहे वापस (Photo source- Patrika)
CG News: स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में अगर डॉक्टर ने किसी बीमारी की जांच के लिए सोनोग्राफी का सुझाव दिया है, तो लगभग 1 महीने की लंबी वेटिंग मरीजों को मिल रही है। उन्हें या तो लंबा इंतजार करना पड़ेगा या फिर निजी अस्पतालों में जाना होगा। ऊर्जाधानी की 14 लाख की जनसंख्या पर स्वास्थ्य विभाग के पास केवल एक ही रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर राकेश अग्रवाल हैं। जिनकी सेवाएं मेडिकल कॉलेज अस्पताल और रानी धनराज कुंवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए ली जा रही हैं।
कुछ महीने पहले तक मेडिकल कॉलेज कोरबा में एक अन्य रेडियोलॉजिस्ट पदस्थ थे, लेकिन वह लंबी छुट्टी पर गए हुए हैं और अब तक लौट कर नहीं आए हैं। इसके कारण स्वास्थ्य विभाग ने वनांचल क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सोनोग्राफी की सुविधा को लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया है। चूंकि स्वास्थ्य विभाग के पास एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट है और शहर में मरीजों का अधिक दबाव रहता है। इसलिए शहर के दो महत्वपूर्ण स्थान पर ही उनकी सेवाएं ली जा रही हैं।
ऐसे में सोनोग्राफी की सुविधा शहर तक ही सीमित हो गई है। सीएमएचओ खुद यह बात स्वीकारते हैं कि अकेले मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जिस तादाद में मरीज आते हैं, उसके अनुसार अस्पताल में कम से कम 4 रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत है। रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण मरीजों को काफी दिक्कत हो रही है। कई मरीज चक्कर काटने मजबूर हैं।
वर्तमान में मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा एक दिन में औसतन 40 से 45 सोनोग्राफी की जाती है, सोनोग्राफी मशीनों की संख्या पर्याप्त है लेकिन सोनोग्राफी करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट ही मौजूद नहीं हैं। विभाग के पास केवल एक रेडियोलॉजिस्ट है जिस पर कार्य का इतना अधिक बोझ रहता है कि वह तेजी से सोनोग्राफी करते हैं।
मेडिकल कॉलेज में सोनोग्राफी करने के बाद हफ्ते में दो दिन रानी धनराज कुंवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवाएं देते हैं। एनएचएम के कर्मचारियों का हड़ताल पर चले जाने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक दिन में लगभग 1200 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं इनमें से कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें सोनोग्राफी की आवश्यकता है लेकिन रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में इन्हें अगली तारीख दी जाती है। किसी एक मरीज के सोनोग्राफी का नंबर लगभग 1 महीने बाद आता है। 2 बजे तक ओपीडी का समय होता है।
CG News: सोनोग्राफी की सुविधा खास तौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। गर्भवती माता की कोख में पल रहे शिशु की वास्तविक स्थिति का पता सोनोग्राफी से लगाया जा सकता है। इसके अलावा सर्जिकल से संबंधित मरीज फिर चाहे वह पेट की पथरी, पेनक्रियाज या अन्य तरह की जांच हो। इन सभी की जांच सोनोग्राफी से ही की जा सकता है। हर्निया में हाइड्रोसील और कई मामलों में थायराइड के मरीजों के लिए भी सोनोग्राफी की जांच आवश्यक है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण सुविधा है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर बीमारी इलाज करते हैं।
एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद रेडियोलॉजी एक पोस्ट ग्रेजुएशन की विशेषज्ञता वाला विषय है। छत्तीसगढ़ में सीट भी काफी सीमित है। भारी भरकम खर्च लगने और मेहनत के बाद जो डॉक्टर रेडियोलॉजिस्ट बन जाते हैं। वह छोटे शहरों में आना नहीं चाहते। जिले का स्वास्थ्य कई बार विज्ञापन निकाल चुका है। डीएमएफ से मुंह मांगी सैलरी देने को भी प्रशासन तैयार है। इसके बाद भी कोई रेडियोलॉजिस्ट नहीं मिल रहा है। निजी अस्पतालों में उनकी खासी डिमांड रहती है।
CG News: एक अनुमान के मुताबिक यदि ठीक-ठाक निजी अस्पताल में भी कोई रेडियोलॉजिस्टि अपनी सेवा देता है, तो वह सालाना 50 लाख तक की कमाई कर सकता है। निजी संस्थान का संचालन करने वाले रेडियोलॉजिस्ट भी अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं। कोरबा शहर में ही प्रख्यात रेडियोलॉजिस्ट की संस्थाओं में मरीज सुबह से ही नंबर लगाकर अपने पारी का इंतजार करते हैं। यहां भी इतनी भीड़ रहती है कि मरीजों को सोनोग्राफी कराने में पूरा दिन लग जाता है। प्रत्येक सोनोग्राफी के एवज में 800 से 1000 रुपए तक का शुल्क लिया जाता है।
डॉ. एसएन केसरी, सीएमएचओ: स्वास्थ्य विभाग के पास फिलहाल अभी केवल एक रेडियोलाजिस्ट मौजूद हैं, एक और रेडियोलॉजिस्ट मेडिकल कॉलेज में थे, जो छुट्टी पर चले गए हैं। पूर्व में विकासखंड में जाकर भी एक-एक दिन सोनोग्राफी की सुविधा थी। हमारे पास सभी सीएचसी में मशीन की उपलब्धता है लेकिन अब केवल एक रेडियोलॉजिस्ट होने के कारण उनकी सेवाएं दो संस्थाओं में ही ली जा रही हैं।
Published on:
28 Aug 2025 03:50 pm
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