
CG Coal Mine Death: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में सुरक्षा नियमों की अनदेखी मजदूरों की जान पर भारी पड़ रही है। कोयला कंपनी अपनी खदानाें में शून्य दुर्घटना का लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही है। लगातार हादसे हो रहे हैं और इसमें मजदूर मारे जा रहे हैं या फिर गंभीर रुप से चोटिल हो रहे हैं।
पिछले पांच साल में छत्तीसगढ़ की अलग-अलग कोयला खदानों में 36 मजदूरों की जान गई है। जबकि 50 से अधिक मजदूर गंभीर रुप से घायल हुए हैं। ये दुर्घटनाएं कोरबा जिले के अलावा प्रदेश के अलग-अलग जिलों में हुई है।
छत्तीसगढ़ में हुई खदान दुर्घटना को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें पिछले पांच साल में मारे गए मजदूरों की संख्या का खुलासा किया गया है। कोयला कंपनी की ओर से बताया गया है कि वर्ष 2024 में अलग-अलग हुई घटना में छह कोयला कामगार मारे गए। जबकि उससे एक साल पहले खदान दुर्घटना में दो कोयला श्रमिक मारे गए थे।
इसके पहले भी खदान दुर्घटनाएं होती रही है। पांच साल के दौरान कोरबा जिले में स्थिति एसईसीएल की गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और मानिकपुर ओपन कास्ट खदानों के अलावा अंडर ग्राउंड खानों में भी दुर्घटना हुई है। इसमें 36 मजदूर मारे गए हैं।
कोल इंडिया और इसकी सहयोगी कंपनियों की खदानों में दुर्घटनाओं में साल दर साल बदलाव हो रहा है। किसी साल मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही, तो कभी कमी दर्ज की जा रही है। लेकिन कंपनियों के लिए शून्य दुर्घटना का लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल हो गया है। हाल ही में कोल इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2019 में अलग-अलग कंपनियों में खदान दुर्घटना में 51मजदूर मारे गए थे।
जबकि वर्ष 2020 में यह संख्या घटकर 48 तक पहुंच गई थी। 2021 में खान दुर्घटना में मारे गए मजदूरों की संख्या 43 दर्ज की गई थी। इसके अलग साल 2022 में रिकार्ड कमी आई। अलग-अलग दुर्घटना में 24 लोग मारे गए। जबकि 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 38 हो गया। 2024 में भी मृतकों की संख्या 36 दर्ज की गई। जबकि इसी वर्ष अलग-अलग खान दुर्घटना में 100 कोयला मजदूर घायल हुए। इसमें नियमित के साथ-साथ ठेका मजदूर भी शामिल हैं।
दुर्घटना के लिहाज से कोरबा जिले में स्थित कोयला कंपनी की तीनों मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा कोयला कर्मचारियों के लिए असुरक्षित साबित हो रही है। हालांकि दुर्घटना में मारे जाने वाले या घायल होने वाले ज्यादातर कामगार खदानों में काम करने वाले आउटसोर्सिंग कंपनियों में नियोजित हैं। इसके पीछे बड़ा कारण सुरक्षा नियमों की अनदेखी को बताया जा रहा है।
वर्ष मृतक घायल
2019 03 08
2020 04 05
2021 07 15
2022 06 18
2023 04 07
2024 10 04
कोयला कंपनी की ओर से सुरक्षा नियमों की जानकारी देेने के लिए समय-समय पर कार्यशाला के साथ-साथ कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाता है। लेकिन यह प्रशिक्षण नियमित कर्मचारियों की तुलना में कम होता है। खदानों में काम करने वाली ठेका कंपनियां उत्पादन पर ज्यादा जोर देती है। मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाती है। मेगा प्रेाजेक्ट में कई बार ऐसी दुर्घटनाएं सामने आई है। जिसकी जांच से पता चला है कि सुरक्षा नियमों की अनदेखी के कारण यह घटना हुई।
कुसमुंडा खदान में कार्य के दौरान एक मजदूर ट्रक से दबकर मारा गया था। इस घटना को लेकर भी खान सुरक्षा निदेशालय ने जांच की थी और घटना के लिए लापरवाही को जिम्मेदार बताया था। इसी साल मानसून में कुसमुंडा खदान में सैलाब आया था। इसमें एक माइनिंग अधिकारी की मौत हो गई थी। इस घटना ने भी सुरक्षा नियमों की पोल खोल कर रख दी थी।
वर्ष मृतक घायल
2019 07 10
2020 12 05
2021 05 10
2022 04 19
2023 02 12
2024 06 08
एसईसीएल बिलासपुर के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सनीषचंद्र ने कहा की कोयला खदानों में होने वाली दुर्घटना को लेकर कंपनी गंभीर है और इसकी रोकथाम को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें सुरक्षा नियमों से अगवत कराया जा रहा है। खदान में जहां रोशनी कम हो, वहां हाईमास्ट लाइट लगाई जा रही हैै।
Published on:
05 Jan 2025 11:47 am
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