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कोल इंडिया की इस दुर्घटना में हुई थी GM और 5 इंजीनियर समेत 14 की मौत, जांच रिपोर्ट ने चौंकाया

6 मई 2010 को कोल इंडिया की हुई थी सबसे बड़ी दुर्घटना, आठ साल में कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की मिली रिपोर्ट, दिया गया है शहीद का दर्जा

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Coal officer and workers

Coal workers who death

चिरिमिरी. अंजनहिल खदान दुर्घटना में जनरल मैनेजर (संचालन) सहित १४ अफसर-कर्मचारियों की मौत के मामले में आठ साल तक लंबी जांच-पड़ताल चली। एसईसीएल की सबसे बड़ी दुर्घटना की ८वीं बरसी के कुछ दिन पहले ही कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की रिपोर्ट मिली। इसमें किसी लापरवाही से नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदा से दुर्घटना होने की पुष्टि की गई है। यह रिपोर्ट चौंकाने वाला है लेकिन कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की रिपोर्ट को पांच श्रमिक संगठन ने ओके कर दिया है।


कोरिया जिले के चिरमिली बरतुंगा कॉलरी के अंजनहिल भूमिगत खदान में 6 मई 2010 कों बड़ा हादसा हुआ था। इसमें जनरल मैनेजर (संचालन), पांच इंजीनियर सहित 14 कर्मचारी की मौत हो गई थी। वहीं बड़ी संख्या में कामगार घायल हो गए थे। दर्दनाक दुर्घटना को कोल इण्डिया का सबसे बड़ा हादसा और काला दिन की संज्ञा दी गई है।

स्थानीय श्रमिक संगठन हर साल काला दिन के रूप में मनाते हैं और अफसर व कर्मचारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। कोल इंडिया की हाई पावर कमेटी व कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की लंबी जांच पड़ताल कर 8 साल में जांच रिपोर्ट सौंपी है। इसमें खदान में दर्दनाक दुर्घटना लापरवाही से नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदा से दुर्घटना होने की पुष्टि की गई है।

कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की रिपोर्ट दुर्घटना की 8वीं बरसी के ठीक पहले मिली है। एसईसीएल के पांच श्रमिक संगठन ने जांच रिपोर्ट से संतुष्ठ होकर ओके कर दिया है। हालांकि खान दुर्घटना की रिपोर्ट को लेकर शहर में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी है।


दुर्घटना के बाद खदान में ताला लगा, ओपन प्रोजेक्ट का प्रस्ताव भेजा
जानकारी के अनुसार अंजनहिल खदान दुर्घटना के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने तत्काल कोयला उत्खनन बंद करा दिया था। केवल औपचारिकता के तौर पर अन्य कार्यों को अंजाम दिया जाता है। अंजनहिल माइंस दुर्घटना को सबसे बड़ी खान दुर्घटना के तौर पर रखा गया है। कोल इंडिया की लंबी जांच और कार्रवाई के बाद खदान को भूमिगत परियोजना की सूची से हटा दिया गया है और ताला लगाने का आदेश जारी किया गया है।

वहीं अंजनहिल भूमिगत खदान को ओपन कास्ट परियोजना के रूप में शुरू करने के लिए हेड क्वार्टर को प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि ओपन कास्ट प्रोजेक्ट की प्रक्रिया में काफी लंबा समय लग सकता है। खदान के ऊपर शहर की सबसे घनी आबादी बसी है। इससे आबादी को विस्थापित कर दूसरे स्थान पर बसाने में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। अंजनहिल भूमिगत माइंस लगभग सात वर्ष पहले ही बंद हो चुकी है।


इनकी मौत हुई थी, प्रबंधन ने दिया शहीद का दर्जा
अंजनहिल भूमिगत खदान दुर्घटना में 14 अधिकारी व कर्मचारियों की मौत हो गई थी। एसईसीएल प्रबंधन ने सभी को शहीद का दर्जा दिया है और शहीद स्मारक का निर्माण कराया है। इसमें महाप्रबंधक संचालन, एस के गोस्वामी, जेट माइनिंग अभिषेक मिश्रा, सीनियर ओवरमैन स्वाीनाथ, सीनियर ओवरमैन आनंद मोहन पाल, सीनियर ओवरमैन तपन कुमार सरकार सहित 14 अधिकारी व कर्मचारियों का नाम लिखा गया है। श्रमिक संगठन के पदाधिकारी हर साल दुर्घटना के दिन शहीद स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि देते हैं।


काला दिन जिसे भुलाया नहीं जा सकता
अंजनहिल खान दुर्घटना की आज 8वीं बरसी है। वह दिन हमारे लिए सबसे बड़ा काला दिन था, जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है। हालांकि दुर्घटना के बाद 8 वर्ष की लंबी लड़ाई व कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की जो रिपोर्ट आई है, उसका हम सम्मान करते हैं। एसईसीएल ने घटना दिन के बाद जो भी वायदा किया गया था, सभी पूरे कर दिए गए हंै। शहीद श्रमिकों को मुआवजा राशि व सभी जरुरतों को पूरा किया गया। उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कोर्ट ऑफ इनक्वायरी की रिपोर्ट से हम सहमत है।
बजरंगी शाही, सदस्य श्रमिक कल्याण बोर्ड चिरिमिरी


प्रबंधन की थी लापरवाही
6 मई 2010 चिरिमिरी के लिए काला दिन था। प्रबंधन की लापरवाही से 14 अफसर-स्टाफ काल के गाल में समा गए थे। जांच एजेंसियां गुपचुप तरीके से जांच की और हादसे का कोई जिम्मेदार नहीं बना। सभी भ्रष्ट जिम्मेदार अफसर बरी हो गए हैं।
शोयब अख्तर, जिला अध्यक्ष इंटक कोरिया


दुर्घटना का आज भी दुख
अंजनहिल दुर्घटना का आज भी हमें दुख है जिसकी सवेदना एसईसीएल कभी भुला नहीं सकता। छ: माह पूर्व अपेस्ट कमेटी की बैठक में कुल 137 भूमिगत खदानों को पूर्ण बंद करने का आदेश जारी किया गया था जिसमे शहर की अंजनहिल भूमिगत खदान का भी नाम था।

हालांकि उक्त दुर्घटना के बाद उस खदान को उत्पादन के नाम पर बंद कर दिया गया था लेकिन उसके अंदर भारी मात्रा में कोयले के भंडार होने के कारण हम लोगों ने उसे ओपन कास्ट परियोजना के लिए प्रस्ताव बना कर कोल इण्डिया कार्यालय भेजा है। इस पूरे मामले में एक हाई पावर कमेटी बनी हुई है जो इसकी जांच कर रही है।अभी तक उसकी सहमति प्राप्त नहीं हुई लेकिन हमें उम्मीद है जल्द ही इस पर विचार-विमर्श के बाद संचालन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

के. सामल, मुख्य महाप्रबंधक, एसईसीएल चिरमिरी


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