
Kotwali Manendragarh
बैकुंठपुर/मनेंद्रगढ़। जमीन की हेराफेरी (Land forgery) करने के मामले में न्यायालय में परिवाद पेश करने पर तत्कालीन तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी सहित 5 आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है। पुलिस के मुताबिक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मनेंद्रगढ़ के न्यायालय की ओर से सिटी कोतवाली को आदेश दिया गया है।
इसमें उल्लेख है कि आवेदक अरविन्द कुमार वैश्य वगैरह ने न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। परिवादीगण मनेन्द्रगढ़ के स्थायी निवासी हैं। नदीपारा मनेन्द्रगढ़ पटवारी हल्का नंबर 14 में राजस्व भूमि खसरा नंबर 198/1 रकबा 22 एकड़ स्थित है, जो शासकीय जमीन थी। उक्त भूमि का पट्टा परिवादीगण के दादा मूलचंद लंहगीर को मिली थी।
दादा की मृत्यु के बाद स्व वृंदावन वैश्य एवं सेवाराम के नाम राजस्व अभिलेख में विरासतन हक से दर्ज किया गया। लेकिन राजेश पुरी पिता सत्यदेव पुरी ने परिवादी के पिता एवं उनके भाइयों ज्ञानचंद वैश्य, बृंदावन वैश्य एवं सेवाराम वैश्य से विधि विरूद्ध तरीके से भूमि को 1978 में क्रय कर लिया था।
जबकि जमीन शासकीय पट्टे पर मिली थी। ऐसे में जमीन की बिक्री के लिए कलेक्टर की अनुमति जरूरी थी। लेकिन बिना कलेक्टर की अनुमति बिक्री कराई गई थी।
मामले में गलत भूमि बिक्री के संबंध में शिकायत अपर कलेक्टर मनेन्द्रगढ़ को सौंपी गई। अपर कलेक्टर ने 29 अप्रैल 2021 को आदेश पारित कर राजेश पुरी के पक्ष में 1978 में बिक्री का पंजीयन निरस्त कर दिया। साथ ही भूमि शासन के पक्ष में करने का आदेश पारित किया गया, जिससे भूमि शासन के नाम से राजस्व अभिलेखों में सुधार कर दर्ज कर दी गई।
राजेश पुरी एवं परिवादी ने अपर कलेक्टर के आदेश के विरूद्ध अपील की। जिसे अपर कमिश्नर अंबिकापुर ने निरस्त कर दिया। इसके बाद इस मामले में राजस्व मंडल व उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई थी। उच्च न्यायालय ने कमिश्नर न्यायालय में लंबित अपील को स्थगित कर दिया था।
मामले में अपील लंबित रहने के दौरान राजेश पुरी एवं पटवारी सुरेन्द्र पाल सिंह, राजस्व निरीक्षक संदीप सिंह ने फर्जी दस्तावेज एवं झूठा प्रतिवेदन तैयार कराया। फिर भूमि की बिक्री के लिए दस्तावेज तैयार कराया। इसके बाद तत्कालीन पटवारी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन तहसीलदार बजरंग साहू ने मिलकर राजस्व अभिलेख दिनांक 8 अक्टूबर 21 को जमीन को शान के नाम पर दुरूस्त किया था।
फिर बिना किसी आदेश राजस्व अभिलेखों में 7 दिसंबर 2021 को खसरा 198/1 में शासन का नाम हटाकर राजेश पुरी का नाम फर्जी तरीके से दर्ज कर दिया गया है। मामले (Land forgery) में आरोपियों के विरूद्ध धारा 156(3) सहपठित धारा 200 के आधार पर धारा 420, 467, 468, 471 के तहत पंजीबद्ध किया गया है।
Updated on:
11 Nov 2024 08:41 pm
Published on:
11 Nov 2024 08:40 pm
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