
MLA Ambika Singh Dev with his husband Amitavo Kumar Ghosh
बैकुंठपुर. MLA Ambika Singh Dev: कोरिया जिले के बैकुंठपुर से कांग्रेस विधायक अंबिका सिंहदेव के पति अमितावो कुमार घोष 1 फरवरी से लगातार फेसबुक पर ‘मुझे कुछ कहना है’ हैशटैग से पोस्ट कर रहे हैं। लंदन से आज उन्होंने अंतिम पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा है कि या तो वे राजनीति चुनें या मुझे। इस लाइन के लिखने से पहले भी उन्होंने बहुत कुछ लिखा है। वे लगातार अपनी विधायक पत्नी से सक्रिय राजनीति छोडऩे व इस्तीफा देने की अपील कर रहे हैं। फेसबुक पोस्ट के अंतिम 2 लाइन में उन्होंने लिखा है कि ‘मोहब्बत है इसीलिए जाने दे रहा हूं, जिद होती तो कहीं की नहीं रहती।’
गौरतलब है कि बैकुंठपुर विधायक अंबिका सिंहदेव के पति ने 1 फरवरी को कोलकाता से तथा 2 फरवरी को लंदन से फेसबुक पर पोस्ट शेयर करते हुए पत्नी के लिए लिखा था कि वे सक्रिय राजनीति छोड़ दें या इस्तीफा दे दें। लगातार 2 दिन तक पोस्ट के बाद विधायक अंबिका सिंहदेव ने मीडिया के सामने बयान जारी किया था।
इसमें उन्होंने भाजपा के पूर्व मंत्री का बिना नाम लिए उनके द्वारा उनके लिए कहे गए अपशब्द का जिक्र किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें इस शब्द से काफी कष्ट हुआ था लेकिन लोगों ने उन्हें जो जिम्मेदारियां दी हैं, उनका वे निर्वहन कर रही हैं।
इधर विधायक के पति अमितावो कुमार घोष (MLA husband) लगातार फेसबुक पर पति-पत्नी की निजी जिंदगी से जुड़े पहलुओं को शेयर करते रहे। आज उन्होंने आखिरी पोस्ट लिखते हुए विधायक से राजनीति या उनमें से किसी एक को चुनने को कहा।
आप भी पढ़ें, अमितावो कुमार घोष का लिखा वो आखिरी पोस्ट-
#मुझे कुछ कहना है- 5, लास्ट व फाइनल पोस्ट
लिखा था मंडे 6 फरवरी को आखिरी पोस्ट करूंगा
क्षमा करना थक गया हूं साहब, एक दिन पहले ही अंत कर रहा हूं यह पोस्ट का सिलसिला-
आप जब ऐसा कुछ देखे नहीं तो मैं कहां किया हूं ??
काश, सुशांत सिंह राजपूत और अन्य अनेक लोग चुपचाप चले जाने से पहले थोड़ा हिम्मत करके मेरी ही तरह कुछ किए होते
जिंदगी से भाग के जाओगे कहां.....
अब मतलब पर -
मैं क्यों चाहता हूं कि अंबिका जी राजनीति छोड़ दें?
छोटा सा उत्तर है- "राजनीति नही गंदी राजनीति"
इस विषय में विस्तार से मैं कुछ और नही लिखूंगा क्योंकि चोरी-छुपे तो कुछ होता नहीं है, जो भी होता है खुलेआम होता है।
आपको दिखाई नहीं देता ??
देता है, पर आप कहोगे ' राजनीति तो ऐसा ही होता है '
सही बात है, इसीलिए तो मैं कभी नहीं चाहा के मेरी पत्नी राजनीति में आए या रहें। आप अपनी पत्नी को छोड़ दोगे इस राजनीति के मैदान में? नहीं न, तो हमसे यह उम्मीद क्यों रखते हो साहब?
आप में से बहुत लोग मुझे पहले से जानते है कुछ पीछे दो साल से।
एक भी तो आगे होकर हमसे बोले नही कि ' आप उन्हें समझाएं कि इस सियासी मैदान से बहार आ जायें '
उल्टा आप अपने स्वार्थ और मतलब से अंबिका जी का साथ दिये
क्यों, अंबिकाजी विधवा हंै, मैं मर गया हूं - डाइवोर्सी हंै- मैं छोड़ के भाग आया हूं?
अंबिका जी के साथ मेरा नाम हर जगह पर जुड़ा है, यहां तक कि उनके सरकारी बंगले के हर एक बिल्स पर, आपका नहीं।
मैं ईश्वर पर भरोसा रखता हूं,
माँ रमदइया से प्रार्थना कर रहा हूं कि जो-जो इस अपराध से जुड़े हैं सबका संसार ऐसे ही उजड़े। पूरा नामों का लिस्ट मैं मां के चरणों में रख के आया हूं। इंसाफ वो करेंगीं। जब आप पर बितेगी तब आपको समझ में आएगा, हम पर क्या गुजरा।
अंबिका जी की राजनीति का पहले दो साल मैं सब समझ रहा था इंग्लैंड से। 2021 से अब तक देख, सुना, समझा ओर सबूत इकठ्ठा किया, एक एक कर के इंडिया में। घबराएं मत, मैं न ही किसी का नाम लेने वाला हूं, न ही कोई सबूत जन समक्ष में लाने वाला हूं, अगर मजबूर न किए गए तो।
मुझे साहब, किसी से कुछ लेना देना नहीं, बस मेरी बीवी मुझे वापस मिल जाए। जो हुआ बहुत हुआ। मैं उनको पिछले 4 साल से तो समझा ही रहा था, वो नहीं सुनीं। फिर मैंने उन्हें कहा कि मैं क्या करूंगा, उन्होंने सोचा कि ये सिर्फ बोल रहे हैं, कुछ करेगा नहीं।
नहीं हुजूर- कौन सीखा है सिर्फ बातों से, सबको एक हादसा जरूरी है
कर दिया न मैं- 'हादसा'
अब फैसला अंबिका जी को लेना है- "या तो वो राजनीति चुने या मुझे’’
ऑप्शन दे दिया, ऑप्शन वे लें, साक्षी आप।
वो जो भी फैसला लेंगीं, मुझे स्वीकार है। एक शब्द भी और नहीं लिखूंगा इस विषय में-
चलते चलते सिर्फ आखिरी दो लाइन -
'मोहब्बत है इसीलिए जाने दे रहा हूं
जिद होती तो कहीं का नहीं रहती।'
Published on:
05 Feb 2023 04:54 pm
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