कानूनी कार्रवाई हो सकती है पुलिस फेक न्यूज को प्रचारित एवं प्रसारित करने वाले के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कार्रवाई करती है और तत्काल दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 एवं 151 में गिरफ्तार भी कर सकती है। इसके सम्बन्ध में कोई विशेष अधिनियम अभी प्रभाव में नहीं है। इसलिए पुलिस जिस फेक न्यूज का जिस स्तर पर जैसा प्रभाव पड़ता है, उसी अनुसार उस पर कार्रवाई करती है। सामान्यत: प्रशासन ऐसे मौकों पर इंटरनेट सेवा बंद करवा देता है। इससे कोई विशेष लाभ नहीं मिलता है।
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फेक न्यूज से किसी व्यक्ति की छवि धूमिल हुई है तो ऐसा व्यक्ति मानहानि की कार्यवाही अपने स्तर पर करने के लिए स्वतंत्र है। फेक न्यूज प्रचारित एवं प्रसारित करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध धारा 124 व 153 ए के तहत कार्यवाही की जा सकती है। धारा 124 ए में आजीवन कारावास तक का प्रावधान है, जबकि धारा 153 ए में पांच वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
दुनिया में कठोर कानून, हमारे यहां नहीं हाल ही मलेशिया ने फेक न्यूज के सम्बन्ध में काननू पारित किया है। इसके तहत फेक न्यूज के सम्बन्ध में छह साल का कारावास व आर्थिक दण्ड का प्रावधान है। आयरलैंड ने भी इस सम्बन्ध में पांच वर्ष के कारावास का प्रावधान है। पूरे विश्व में इस सम्बन्ध में फेक न्यूज पर चर्चा चल रही है और अनेक देशों में इस सम्बन्ध में कानून बनने जा रहे है। फेक न्यूज की गम्भीरता को इससे ही समझा जा सकता है कि कई देशों में प्रस्तावित इसके कानून में दस वर्ष तक की अवधि तक के कारावास की सजा की बात चल रही है। जुर्माना भी एक बड़ी रकम के रूप में है। जर्मनी में 50 मिलियन यूरो जुर्माना रखा गया है, यह राशि भारत में करीब 400 करोड़ होती है। जबकि हमारे देश में फेक न्यूज पर कोई विशेष कानून प्रभाव में नहीं है।