
कोटा.
पांचवी शताब्दी की अनूठी गुप्तकालीन प्रतिमा 'झालरीवादक' कोटा के राजकीय संग्रहालय में फिर से शोभा बढ़ाएगी। प्रतिमा को सितम्बर-2016 में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से चीन भेजा गया था। हाल ही में इसे वापस कोटा लाया गया है। राजकीय संग्रहालय में पुरातत्वप्रेमी, विद्यार्थी तथा पर्यटक इसे देख सकेंगे।
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चीन के चार संग्रहालयों में हमारी शानदेशभर की गुप्तकालीन प्रतिमाओं में से यह प्रदेश की सबसे प्राचीन प्रतिमा है। नेशनल म्यूजियम की ओर से चीन में गुप्ता आर्ट एंड चीन सब्जेक्ट विषय की प्रदर्शनी के लिए इसका चयन किया गया था। चीन के चार म्यूजियमों द प्लेस म्यूजियम, जिनझिंग, फ्यूजन और सिचियान म्यूजियम में इसका प्रदर्शन किया गया था। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह कोटा की गुप्तकालीन प्रतिमा है। यह करीब 1600 वर्ष पुरानी है। कोटा का चीन से व्यपारिक संबन्ध होने से जुड़ाव रहा है।
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यह प्रतिमा पांचवी शताब्दी की है। इसे दरा से प्राप्त किया गया था। झालरीवादक प्रतिमा मेें शिल्पखंड के वर्तुल भाग पर गुप्तकालीन केश विन्यास युक्त बालक दोनों हाथों से वाद्ययंत्र बजाते हुए है। यह भारतीय शिल्प की अनुपम वस्तु है।
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पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग वृत अधीक्षक उमराव सिंह का कहना है कि यह प्रतिमा पांचवी शताब्दी की और महत्वपूर्ण है। करीब दो वर्ष पूर्व इसे चीन के संग्रहालय में दर्शाने के लिए ले जाया गया है। इसी माह यह वापस कोटा आई है।
Published on:
28 Feb 2018 06:54 pm
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