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पंपिंग स्टेशन की थी योजनारा ष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, चंबल के दोनों किनारों पर इंटरसेप्टिंग सीवर डालने व विभिन्न बस्तियों में 146 किलोमीटर सीवर लाइन डालने समेत विभिन्न क्षेत्रों में छह पंपिग स्टेशन बनाने की योजना थी। इसी में से एक पंपिग स्टेशन गोदावरी धाम के पास बनाया जाना था।
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रैनतलाई में इस तरह की थी व्यवस्था
गोदावरी धाम के पास बनी रेनतलाई में पठारी पानी तीन मोटी दीवारों से गुजरकर चंबल में जाता था। पानी के साथ आने वाली गन्दगी पहली दीवार से टकराकर तल में बैठ जाती थी। शेष अगली दीवार से टकराकर रुक जाती थी। तीन अलग-अलग मोटी दीवारों से टकराकर पानी बिना गन्दगी के चंबल में मिलता था। अब रेनतलाई पर बने लेगुनिंग सिस्टम अनदेखी का शिकार है। तीन दीवारों में से एक चंबल की डूब में आ गई, दूसरी जीर्णशीर्ण हो गई। तीसरी सबसे विशाल व करीब 10 फीट चौड़ी दीवार भी दम तोड़ती नजर आ रही है। रैन तलाई खुद गंदगी की भेंट चढ़ गई। BIG News: कोटा में तेज धूप ने बचा ली 40 लोगों की जान, नहीं तो हो जाता अनर्थ…
विरासत को संजोने की जरूरत
रैन तलाई को रामसिंह द्वितीय (1827-1865) ने बनवाया था। यहां बने एनिकटों से गुजरकर पानी चंबल में गिरता था। यहां लोग पिकनिक मनाने आते थे। अब यह कचरे से लबालब है। बदलती परिस्थितियों में भी इस पर ध्यान दिया जाए तो चंबल में मिलने वाली ठोस गंदगी को रोका जा सकता है। वहीं विरासत को भी संजोया जा सकता है।
फिरोज अहमद, इतिहासविद्
रिवर फ्रंट योजना में हो शामिल
रेनतलाई में बनी दीवार आज भी नाले से होकर आने वाले गंदगी को चंबल में जाने से रोक रही है। इसकी नियमित सफाई करवाई जाए तो गंदगी को चम्बल में जाने से रोका जा सकता है। सरकार इस रैन तलाई को संरक्षित कर चंबल शुद्धिकरण योजना के तहत यहां पंपिंग स्टेशन का निर्माण करवाए। सरकार द्वारा यहां पूर्व में पंपिंग स्टेशन बनाने की योजना बनाई थी, पर अब तक कुछ नहीं हुआ। सरकार की रिवर फ्रंट योजना में इसे शामिल किया जाए।
बृजेश विजयवर्गीय, जलबिरादरी
लेगुनिंग सिस्टम पानी को शुद्ध रखने का प्राचीन तरीका है। इसके लिए गंदे पानी को लंबे चौड़े भाग में जमा किया जाता था। इससे हवा के साथ इसकी दुर्गंध निकल जाती है।
अमित जोएल, क्षेत्रिय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल