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चहेतों की मौज, कई के दिन-रात बसों में बीते

कोटा. परिचालकों की कमी से जूझ रहे रोडवेज कोटा डिपो में अधिकारियों की चहेतों पर रहमत बाकी कंडक्टर्स पर भारी पड़ रही है।

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कोटा

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abhishek jain

Oct 13, 2017

Conductor Lackness in Rajasthan Roadways

कोटा . परिचालकों की कमी से जूझ रहे रोडवेज कोटा डिपो में अधिकारियों की चहेतों पर रहमत बाकी कंडक्टर्स पर भारी पड़ रही है। हालत ऐसी हो गई कि वे प्रताडि़त महसूस करने लगे। कई के दिनरात बे-नागा बसों में ही निकल रहे हैं। वे घर पर ठहर तक नहीं पा रहे। पीडि़त परिचालक इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को व्यथा बता चुके लेकिन कुछ नहीं हुआ। इधर, कई ऐसे हैं जो जयुपर मुख्यालय के आदेशों को धता बताते हुए डिपो के दफ्तरों में जमे हैं। इन पर अफसरों की कृपा बताई जाती है।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रसूख और मिलीभगत के दम पर करीब आधा दर्जन परिचालक हैं जो मुख्यालय पर दफ्तर में लगे हुए हैं। ये किसी रूट पर नहीं जाते। वहीं करीब एक दर्जन परिचालक खुद को पीडि़त मान रहे हैं। इनका कहना है कि एक बस से उतरते ही उन्हें दूसरी का फ रमान मिल जाता है। ऐसा लम्बे समय से हो रहा। परिचालक ऐसे फरमानों से परेशान हैं। उन्होंने उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में उन्हें मजबूरी में लगातार ड्यूटी करनी पड़ रही है।

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ऐसे हैं हाल
1. कुछ दिन पहले परिचालक राधा किशन मीणा जयपुर से दोपहर 2.30 बजे आकर ऑफ हुआ। जैसे ही घर जाने लगा तो ड्यूटी ऑफिसर ने उसे पुन: 3.30 बजे जयपुर ड्यूटी का फरमान पकड़ा दिया। विरोध जताया तो अधिकारियों ने उसके नाम पर वाहन निरस्त करने की चेतावनी दी। आखिर उसे रूट पर जाना पड़ा।

2. परिचालक अल्लारक्खा जयपुर से शाम 4.30 बजे कोटा आता है और शाम 7 बजे फिर उसकी ड्यूटी जयपुर के लिए लगा दी जाती है। आराम ही नहीं मिल पा रहा।

3. परिचालक नवीन, सुबह 11 बजे जयपुर से आता है और दोपहर 1 बजे फिर उसको अजमेर लगा दिया जाता है। लगातार ड्यूटी लगाई जा रही है। दिन-रात बस में ही गुजर जाते हैं। घर रुके हुए अरसा हो गया।

4. परिचालक हबीब रहमान, दोपहर 12.30 बजे उदयपुर से कोटा आया और दोपहर 1.30 बजे पुन: उदयपुर के लिए ड्यूटी लगा दी गई।


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ये है नियम
राजस्थान रोडवेज में एक परिचालक के किसी मार्ग से ऑफ होने के बाद उसकी ड्यूटी अगले दिन लगाई जाती है, लेकिन कोटा डिपो में परिचालकों को आते ही फिर से ड्यूटी पर भेज रहे हैं। इससे परिचालक को आराम का भी वक्त नहीं मिल पाता। उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

रूट के हैं आदेश
रोडवेज मुख्यालय ने वरिष्ठता सूची जारी करते हुए डिपो में बैठे परिचालकों को मार्ग पर चलाने के आदेश दिए थे। इस पर कई परिचालकों को मार्ग पर चला भी दिया था, लेकिन कुछ समय बाद ही अधिकारियों के चहेते परिचालकों को वापस दफ्तर में बैठा लिया।

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यहां लगे परिचालक
ये परिचालक ट्रैफिक मैनेजर कार्यालय, नयापुरा बुंकिग, पुलिस वारंट कार्य, टाइम सेक्शन कार्यालय में जमे हुए हैं।

परिचालकों की कमी
ट्रैफिक मैनेजर रमेशचंद जांगिड़ परिचालकों की कमी से अधिक काम लिया जा रहा है। जो परिचालक डिपो में काम कर रहे, उनको डिपो में लगाने का काम मुख्य प्रबंधक का है।