
कोटा . राजस्व समिति की पिछले दिनों आनन-फानन में हुई बैठक के फैसले एक-एक करके पलटे जा रहे हैं। इससे समिति के सदस्यों में असंतोष भड़क गया है। उन्होंने आयुक्त के समक्ष भी आपत्ति जताई है। ताजा मसला चंबल गार्डन में शुल्क घटाने का है। राजस्व समिति ने चम्बल गार्डन में प्रवेश शुल्क घटाने का निर्णय किया था, लेकिन शुल्क संकलन करने वाले ठेकेदार के दबाव में निगम प्रशासन ने प्रवेश शुल्क घटाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। निगम ने जीएसटी समेत 38.50 लाख का ठेका दिया है।
ठेकेदार ने अधिकारियों से कहा कि चम्बल गार्डन में टॉय ट्रेन संचालित करने तथा एज्यूमेंट जोन के झूले चलाने की बात हुई थी लेकिन ये दोनों ही चालू नहीं होने से गार्डन में लोग कम आते हैं। एेसे में यदि प्रवेश शुल्क घटा दिया तो वह ठेका नहीं चला पाएगा।
ठेकेदार के तर्कों के आगे निगम दबाव में गया, अब अप्रेल तक प्रवेश शुल्क घटाने से मना कर दिया है। राजस्व समिति सदस्यों का कहना है कि बैठक में आयुक्त, उपायुक्त और राजस्व अधिकारी भी मौजूद थी, यदि इस तरह की स्थिति पहले रख दी जाती तो निर्णय नहीं लिया जाता। समिति के फैसले की पालना नहीं होने से जनता में गलत संदेश जा रहा है।
यह हुआ था फैसला
कुछ समय पहले निगम आयुक्त ने चम्बल गार्डन में प्रवेश शुल्क दो रुपए से बढ़ाकर पांच रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया था। पहले दस वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश नि:शुल्क था, बढ़ोत्तरी में बच्चों का प्रवेश शुल्क भी पांच रुपए कर दिया था। इसी तरह, पहले रविवार को प्रति व्यक्ति दो रुपए टिकट था, जो पांच रुपए किया गया। इस बढ़ोत्तरी पर बैठक में समिति के सदस्यों ने आपत्ति जताई थी और शुल्क घटाने का फैसला किया गया था।
फैसले जो पलट गए
समिति ने छतों पर लगे होर्डिंग्स का शुल्क १०० रुपए प्रति वर्ग फीट निर्धारित किया, लेकिन बाद में महापौर ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए शुल्क ७५ रुपए प्रति वर्ग फीट कर दिया। समिति की बैठक में प्रत्येक कोचिंग छात्र से एक हजार रुपए सालाना सफाई शुल्क लेना तय किया, शहर में जबर्दस्त विरोध होने पर महापौर ने इस फैसले पर भी रोक लगाते हुए वापस ले लिया।
भंग कर दो समितियां
राजस्व समिति के सदस्य दिलीप पाठक ने बताया कि यदि समितियों के फैसलों की पालना नहीं होती है और महापौर फैसलों को बदल रहे हैं तो एेसी समितियों का औचित्य ही क्या है। समितियों को भंग कर देना चाहिए।
राजस्व समिति के अध्यक्ष महेश गौतम लल्ली ने कहा कि चम्बल गार्डन का प्रवेश शुल्क घटाने के फैसले की पालना के बारे में आयुक्त से चर्चा हुई है। शुल्क घटाने पर ठेकेदार ने काम बंद करने की बात कही। इस कारण शुल्क नहीं घटाया। समिति के फैसले की पालना होनी चाहिए।
Published on:
20 Dec 2017 11:04 am
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