
death due to scrub typhus in Kota
घर में उगी घास मौत का सबब भी बन सकती है। कोटा की मेघा जैन इसकी वजह से जान गंवा चुकी हैं। घास में छिपे माइट काटन से उन्हें स्क्रब टाइफस हो गया, लेकिन जब तक इस बीमारी का पता चलता वह इतनी बढ़ गई कि मेघा मल्टी ऑर्गन फेैल्योर का शिकार हो गई। जिसकी वजह से उन्हें अपना जान गंवानी पड़ी।
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कोटा की तलवंडी निवासी 37 वर्षीय मेघा जैन की जयपुर के निजी अस्पताल में सोमवार को मल्टी आर्गन फैल्योर होने से मृत्यु हो गई। जयपुर में उपचार कर रहे चिकित्सकों ने उन्हें स्क्रब टाइफस पॉजीटिव बताया है। मेघा बुखार आने के बाद शॉर्क सिण्ड्रोम में चली गई थी। जिसे दादाबाड़ी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। जहां चिकित्सकों ने उसकी डेंगू व मलेरिया की जांच करवाई थी, जो नेगटिव आई थी। इसके बाद परिजन 9 सितम्बर को जयपुर ले गए थे। जहां जांच स्क्रबटाइफस पॉजीटिव आया, लेकिन शॉर्क सिण्ड्रोम के बाद इस बैक्टीरियल इंफेक्शन से उसे मल्टी आर्गन फैल्योर हो गया और सोमवार सुबह उसकी मृत्यु हो गई। मृतका मेघा जैन के दो छोटी-छोटी पुत्रियां है। असमय हुई मौत से उनके परिजनों पर दु:ख का पहाड़ टूट पड़ा है।
वायरस नहीं बैक्टीरियल इंफेक्शन
मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा ने बताया कि स्क्रब टाइफस के जीवाणु जिसे रिकेटशिया कहते हैं, यह संक्रमित माइट (पिस्सू) से फैलता है। इस बैक्टीरिया से संक्रमित पिस्सू झाडिय़ों, खेतों, घास में रहते हैं, व्यक्ति के संपर्क में आने पर उसे काट लेते हैं। काटने के बाद संक्रमित बैक्टीरिया रिकेटशिया चमड़ी के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद 48 से 72 घंटों में इसके असर से स्क्रब टाइफस बुखार पीडि़त को हो जाता है। यह बीमारी बरसात के समय या इसके बाद कुछ माह में तेजी से फैलती है।
पैर पर छोटा घाव व बुखार है लक्षण
डॉ. सलूजा ने बताया कि पैर पर छोटा घाव व बुखार ही इस बीमारी का प्रारंभिक लक्षण है। इसके बाद मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार आता है, उसे कंपकपी, जोड़ों में दर्द, शरीर का टूटना, ऐंठन और अकडऩ आने लगती है। इस बीमारी की दूसरी स्टेज में मरीज को पीलिया हो सकता है, उसे पेशाब कम आना, स्वयं व मस्तिष्क का सुस्त हो जाना और शरीर में सूजन भी आने लग जाती है। कई मरीजों में डेंगू की तरह प्लेटलेट्स भी कम हो जाती है।
मल्टी आर्गन फैल्योर का खतरा
इस बीमारी में आगे जाकर मरीज को पीलिया, पेट व फैफड़ों पानी एकत्र होना, फैफड़ों में इंफेक्शन जैसी शिकायत हो जाती है। साथ ही वह बेहोश हो जाता। इसके बाद उसका श्वसन तंत्र कमजोर होने से वेंटीलेटर सपोर्ट तक भी देना पड़ता है। साथ ही किडनी, लीवर, हार्ट व ब्रेन के इन्वोल्व होने से मल्टीआर्गन फैल्योर हो जाता है। जिससे मरीज की मृत्यु भी हो जाती है।
यह है बचाव के प्रयास
घर के आसपास घास व खरपतवार को न उगने दें। नंगे पैर घास पर नहीं चले। पूरी बाह के कपड़े ही पहने। घर के आसपास के इलाके को साफ रखें। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव घर के आसपास जरूर करें। जंगल के रास्ते व खेतों में काम करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छे से ढक कर रखें।
Published on:
12 Sept 2017 08:18 am
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