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मरीजों की पीड़ा से भी नहीं पसीज रहे भगवान, रूटिन के 60 ऑपरेशन भी टले

कोटा संभाग के तीनों बड़े अस्पताल एमबीएस, जेके लोन व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मंगलवार को रुटिन के 60 ऑपरेशन टाले गए।

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कोटा

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abhishek jain

Dec 19, 2017

मरीज

कोटा .

सेवारत चिकित्सक व रेजीडेंट्स के कार्य बहिष्कार के कारण शहर के अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमरा गई है। कोटा संभाग के तीनों बड़े अस्पताल एमबीएस, जेके लोन व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मंगलवार को रुटिन के 60 ऑपरेशन टाले गए। जबकि इमरजेंसी के सिर्फ 23 ही ऑपरेशन हुए। उधर, एमबीएस, जेके लोन व मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मेडिसीन ओपीडी में मरीजों की कतारें लगी दिखी। घंटों तक मरीजों का नम्बर नहीं आया। इसके चलते मरीज परेशान रहे। मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड में मरीज चिकित्सक का इंतजार करते दिखे।

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दोपहर 12 बजे तक भर्ती मरीजों को नहीं देखा

झालावाड़ रोड स्थित ईएसआई अस्पताल में सेवारत चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार का असर दिखा। यहां इंडोर में सर्जिकल, मेडिसीन व महिला प्रसूता वार्ड में भर्ती मरीजों को चिकित्सकों ने दोपहर 12 बजे तक नहीं देखा। जबकि सुबह 9 बजे अस्पताल खुलने का समय रहता है। उसी समय चिकित्सक सबसे पहले भर्ती मरीजों को देखता है, लेकिन चिकित्सकों के अभाव के कारण मरीजों को देखा नहीं। राजस्थान पत्रिका संवाददाता की सूचना के बाद अस्पताल अधीक्षक बीएल गोचर ने एक चिकित्सक को राउंड पर भेजा। उसके बाद भर्ती मरीजों को देखा गया।

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यहां एक चिकित्सक के भरोसे कमान

विज्ञान नगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सा प्रभारी केशव गुप्ता मरीजों को देख रहे है। उनके अलावा कोई वैकल्पिक तौर पर चिकित्सक नहीं है। यहां प्रतिदिन 200 से 250 की ओपीडी है। यहां सुबह से ही मरीजों की कतारें लगी है। मरीजों को भी चिकित्सक को दिखाने के लिए इंतजार करना पड़ा।

केवल इमरजेंसी सोनोग्राफीमेडिकल कॉलेज अस्पताल में सोनोग्राफी पर भी असर पड़ा है। अस्पताल में अमूमन प्रतिदिन 70 से 80 सोनोग्राफी होती है, लेकिन रेजीडेंट्स के अवकाश पर होने के कारण मंगलवार को इमरजेंसी में 10 से 15 सोनोग्राफी हो पाई है।

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मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ. देवेन्द्र विजयवर्गीय का कहना है कि अस्पताल में वैकल्पिक तौर पर इमरजेंसी में सीनियर, असिस्टेंट व मेडिकल ऑफिसर कमान संभाले है। रेजीडेंट्स नही होने के कारण इन पर कार्यभार बढ़ गया है। इन दिनों मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या अधिक है। अतिआवश्यक सोनोग्राफी ही की जा रही है।

ऑपरेशन थियरेटर प्रभारी एस. सी. दुलारा का कहना है कि रेजीडेंट्स के कार्य बहिष्कार से तीनों अस्पतालों के रुटिन के ऑपरेशन टले है। इमरजेंसी ऑपरेशन किए है।