scriptDowry Case Kota: हर रोज एक बेटी को निगल जाता है दहेज का दानव, डॉ. राशि बनेंगी मिसाल | Dowry Case: A case of dowry harassment is recorded every day in Kota | Patrika News

Dowry Case Kota: हर रोज एक बेटी को निगल जाता है दहेज का दानव, डॉ. राशि बनेंगी मिसाल

locationकोटाPublished: Dec 05, 2017 10:42:51 am

Submitted by:

​Vineet singh

तमाम कानूनों बावजूद कोटा में दहेज का दानव हर रोज बेटियों को निगल रहा है। हर महीने दहेज उत्पीड़न के औसतन 28 मामले दर्ज होते हैं।

Dowry Case in India, Cancellation of marriage, dowry system in India, Dowry Prohibition Act, Kota News, Dowry Case in Kota, Bride cancels Wedding in Kota, Returned Barat over Dowry Demand in Kota, Rajasthan Patrika Kota, Kota Rajasthan Patrika, Crime News Kota

Dowry Case: A case of dowry harassment is recorded every day in Kota

दहेज विरोधी कानून बनने और तमाम सामाजिक बदलाव होने बाद भी दहेज की मांग को लेकर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों में कमी नहीं आई है। दहेज प्रताड़ना हो या दहेज के लिए हत्या या फिर महिलाओं को आत्महत्या के लिए मजबूर करना। कानून में कड़ी सजा का प्रावधान होने के बाद भी दहेज लोभियों के लालच में कोई कमी नहीं आ रही है। कोटा शहर में ही कमोबेश हर रोज एक मामला इस तरह का दर्ज हो रहा है। कोटा में हर माह करीब 28 मुकदमे दहेज प्रताड़ना के दर्ज हो रहे हैं। हालांकि पिछले दो सालों की तुलना में इस साल इनकी संख्या कुछ कम आई है।
 

यह भी पढ़ें

Dowry Case Kota: इस दहलीज पर नहीं मना बारात लौटाने का मातम, बहादुर बेटी के साथ खड़ा हुआ पूरा परिवार

धर्म में दहेज का उल्लेख नहीं

साध्वी हेमा सरस्वती कहती हैं कि हिन्दू धर्म में कहीं भी दहेज का उल्लेख नहीं है। बेटी व दामाद को कोई तकलीफ न हो, इसलिए नई गृहस्थी बसाने के लिए माता पिता बेटी को प्रेम स्वरूप उपहार देते हैं। महाशिवपुराण में भगवान शिव के विवाह में देवी पार्वती से माता मैना ने कहा था ‘करहुं सदा शंकर पद पूजा, नारी धरम पतिदेव न दूजा।’ माता पिता की ओर से दिए जाने वाले उपहार को लोगों ने दिखावे व दहेज में बदल दिया। यह पाप है।
यह भी पढ़ें

घर से निकले थे कोर्ट मैरिज करने रास्ते में ही चुन्नी और स्कार्फ का फंदा बनाकर लगा ली फांसी

प्रेरणास्पद फैसला

राजकीय महाविद्यालय कोटा की प्रोफेसर डॉ. प्रभा शर्मा कहती हैं कि डॉ. राशि ने दहेज के विरोध में जो निर्णय लिया है वह तारीफ के काबिल है। इससे अन्य दहेज लोभी भी सीख लेंगे, वहीं बेटियों के लिए भी प्रेरणादायक है। अब बेटियां शिक्षित होती जा रही हैं तो जागरूक हो रही हैं। जहां तक दहेज की धारणा है, माता पिता बेटी को उपहार के रूप में अपनी सामर्थ के अनुसार भेंट देते थे, लोगों ने इसका रूप बिगाड़ दिया।
यह भी पढ़ें

आनंदपाल एनकाउंटर के बाद भी बुलंद हैं इन 2 गैंग के हौसले, गवाह को धमकाने के लिए कोर्ट में ही भिड़े

डॉ. राशि बनेगी नई प्रेरणा

मनोचिकित्सक डॉ. वीरेन्द्र मेवाड़ा कहते हैं कि दहेज में 1 करोड़ रुपए मांग रहे दूल्हे की बारात को दरवाजे से लौटाने के डॉ. राशि के फैसले से समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा। लोगों की मानसिकता बदलेगी और लोग दहेज लोभियों के खिलाफ खडे़ होने लगेंगे। वहीं दहेज मांगने वालों को समाज अपने आप सजा देने लगेगा। शिक्षित बेटी के द्वारा उठाया जाने वाला ये कदम सार्थक कदम है। समाज को भी इसका समर्थन करना चाहिए।
यह भी पढ़ें

मोदी सरकार पर चीता बोलेः वो पूछते थे क्यों मारा, ये कहते हैं उन्होंने एक मारा तुम दो मारो…


दंडनीय अपराध है दहेज लेना

वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक नंदवाना कहते हैं कि वधु पक्ष से दहेज की मांग करना दंडनीय अपराध है। दहेज की मांग पर आईपीसी की धारा 498 ए, 406 व 504 में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। दहेज की मांग करना सामाजिक बुराई है। दुल्हन ने दहेज मांगने पर बारात को लौटा कर जो मिसाल पेश की है वह लोगों के लिए आदर्श बनेगा। समाज में इसका सकारात्मक प्रभाव होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो