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कोटा में चल रहा था नकली बीड़ी का कारखाना, ऐसे खुली पोल संवाददाता सुबह सोफिया स्कूल की ओर से रेलवे कॉलोनी के हाल देखने पहुंचा तो ग्रीन पार्क व पेड़ देखकर संतोष हुआ, लेकिन जैसे ही आगे की ओर रुख किया तो पार्क का एक कोना तबेला बना हुआ था। इसके थोड़ा आगे जगह-जगह सूअर और गंदगी नजर आई। नाली का पानी रास्ते में फैला हुआ था और सड़ांध मार रहा था। पूरी कॉलोनी का ड्रेनेज सिस्टम फेल नजर आया। यहां विद्यालय के पीछे तो अतिक्रमण मिला। थोड़ा आगे बढऩे पर इतनी गंदगी मिली कि ठहरना मुश्किल हो गया। जगह-जगह कचरा पॉइंट बने नजर आए। यहां मृत जानवरों की बदबू ने आगे जाने से रोक दिया। नहीं होती सार संभाल
कॉलोनी में जो मकान खाली हैं, उनकी सार संभाल नहीं हो रही। रेलकर्मियों ने बताया कि सरकारी आवास में रहने पर उनके वेतन से हर माह मोटी राशि की काटी जाती है। इसके बाद भी हालत सुधारने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। कर्मचारियों के कल्याण के लिए स्वास्थ्य निरीक्षक, इंजीनियर और कल्याण निरीक्षक के पद सृजित हैं, लेकिन कल्याण की बात नहीं होती।
कॉलोनी में जो मकान खाली हैं, उनकी सार संभाल नहीं हो रही। रेलकर्मियों ने बताया कि सरकारी आवास में रहने पर उनके वेतन से हर माह मोटी राशि की काटी जाती है। इसके बाद भी हालत सुधारने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। कर्मचारियों के कल्याण के लिए स्वास्थ्य निरीक्षक, इंजीनियर और कल्याण निरीक्षक के पद सृजित हैं, लेकिन कल्याण की बात नहीं होती।
सुविधायुक्त है अधिकारियों के बंगले
कर्मचारियों की कॉलोनी के बाद अधिकारियों की कॉलोनी का जायजा लिया तो वहां साफ-सफाई दिखी। रेल कर्मचारियों के आवासों के रख रखाव के लिए जिम्मेदार अधिकारी वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) और विभाग के अन्य अधिकारियों के बंगले चकाचक नजर आए। बंगलों मेंं किचन गार्डन से लेकर सभी तरह की सुविधाएं हैं।
कर्मचारियों की कॉलोनी के बाद अधिकारियों की कॉलोनी का जायजा लिया तो वहां साफ-सफाई दिखी। रेल कर्मचारियों के आवासों के रख रखाव के लिए जिम्मेदार अधिकारी वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) और विभाग के अन्य अधिकारियों के बंगले चकाचक नजर आए। बंगलों मेंं किचन गार्डन से लेकर सभी तरह की सुविधाएं हैं।
ट्रेन संचालन के लिए भी खतरा
संरक्षा श्रेणी से जुड़े कर्मचारियों के आवास जर्जर होना और आसपास माहौल अच्छा नहीं होने से ट्रेन परिचालन के दौरान ही हादसा होने का खतरा रहता है। रेलवे संरक्षा के लिए हुए मंथन कार्यक्रमों में यह बात सामने आ चुकी है कि यदि किसी ट्रेन चालक का आवास जर्जर है और ट्रेन चलाते समय उसके दिमाग में यह बात आ गई कि बारिश में क्या होगा, इस उधेड़बुन में चालक खतरे का सिग्नल भी पार कर सकता है।
संरक्षा श्रेणी से जुड़े कर्मचारियों के आवास जर्जर होना और आसपास माहौल अच्छा नहीं होने से ट्रेन परिचालन के दौरान ही हादसा होने का खतरा रहता है। रेलवे संरक्षा के लिए हुए मंथन कार्यक्रमों में यह बात सामने आ चुकी है कि यदि किसी ट्रेन चालक का आवास जर्जर है और ट्रेन चलाते समय उसके दिमाग में यह बात आ गई कि बारिश में क्या होगा, इस उधेड़बुन में चालक खतरे का सिग्नल भी पार कर सकता है।
जगह-जगह कट गए पेड़
कॉलोनी में जगह-जगह पेड़ कटे हुए नजर आए। कई पेड़ों के ठूंठ मिले तो कई पेड़ आधे कटे मिले। कोटा के अलावा शामगढ़, विक्रमगढ़ आलोट, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी और अन्य स्टेशनों के आवासीय परिसरों की स्थिति भी ऐसी ही है।
फैक्ट
13362 कुल रेलकर्मी
4500 कोटा मुख्यालय पर कार्यरत
3000 कुल रेल आवास हैं कोटा में
83 रेल अधिकारी तैनात हैं कोटा में
73 अधिकारी आवास है कोटा में
2000 हजार कार्मिक कोटा के माल डिब्बा कारखाने में हैं
माल डिब्बा कारखाने के कार्मिकों की अलग कॉलोनी है
कॉलोनी में जगह-जगह पेड़ कटे हुए नजर आए। कई पेड़ों के ठूंठ मिले तो कई पेड़ आधे कटे मिले। कोटा के अलावा शामगढ़, विक्रमगढ़ आलोट, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी और अन्य स्टेशनों के आवासीय परिसरों की स्थिति भी ऐसी ही है।
फैक्ट
13362 कुल रेलकर्मी
4500 कोटा मुख्यालय पर कार्यरत
3000 कुल रेल आवास हैं कोटा में
83 रेल अधिकारी तैनात हैं कोटा में
73 अधिकारी आवास है कोटा में
2000 हजार कार्मिक कोटा के माल डिब्बा कारखाने में हैं
माल डिब्बा कारखाने के कार्मिकों की अलग कॉलोनी है