यह है तबाही की वजह
डॉ. आहूजा के मुताबिक, पास में बह रही नदी प्राचीन समृद्ध साम्राज्य की तबाही की वजह रही होगी। कालांतर में उसी जगह दूसरे राज्य बसे हों और अंत में किसी पोपाबाई नाम की महिला का राज आया होगा। जहां शासन व्यवस्था इतनी अराजक होगी कि लोगों को कुछ भी करने की छूट दे दी गई हो। कर्नल जेम्स टॉड ( Colonel James Tod ) ने आवां में पोपाबाई के राज्य का उल्लेख भी किया है।
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शिव विवाह और कल्कि अवतार
डॉ. आहूजा बताती हैं कि सोमनाथ के केशव मंदिर जैसा ही त्रिगर्भगृह युक्त मंदिर आवां के सबसे बड़े मंदिर में देखने को मिलता है। इसी से यहां की प्राचीनता का अंदाज लगाया जा सकता है। तीन देवकुलिकाओं वाला यह मंदिर सूर्य, गणेश और योगनारायण को समर्पित है। यहीं विष्णु के दशवें अवतार भगवान कल्कि की प्रतिमा स्थापित थी, जो खंडहर में टूटी पड़ी है।
इसी के पास स्थापित एक और सूर्य मंदिर की दीवारों पर दुर्लभ कल्याण सुंदरम् प्रतिमा का अंकन है। जिसमें शिव पार्वती का पाणिग्रहण करते हुए चित्रित किए गए हैं।ब्रह्मा बीच में खड़े हैं। इसी के पास सहस्त्रबाहु मंदिर है। जिसे ग्रामीण सास-बहू का मंदिर भी कहते हैं। इसके करीब आठ से दस फुट गहराई में समाया महाकालेश्वर मंदिर आवां की प्राचीनता का जीता जागता प्रमाण है। बड़ी बात यह है कि सभी मंदिरों की प्रतिमाएं गायब हैं।