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कोटा के रैन बसेरों में मजदूरों को नहीं मिल रहा आश्रय, सर्द रातों में फुटपाथों पर कट रही रातें

locationकोटाPublished: Jan 18, 2018 02:04:42 pm

Submitted by:

​Zuber Khan

दूर-दराज से कोटा में मजदूरी कर अपना पेट पालने के लिए आ रहे मजदूरों को सर्द रातें खुले आसमान के नीचे बितानी पड़ रही हैं

rain basera
कोटा . दूर-दराज से कोटा में मजदूरी कर अपना पेट पालने के लिए आ रहे मजदूरों को सर्द रातें खुले आसमान के नीचे बितानी पड़ रही हैं। रैन-बसेरों में इनके लिए कोई जगह नहीं। कोटड़ी स्थित माली समाज के मंदिर के सामने रात 9 बजे बाद से ही मजदूरों की लम्बी कतारें सोने के लिए लग जाती हैं।
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यहां जगह नहीं मिलती तो डिवाइडर पर लोग खुले आसमान के नीचे मजबूरी में रात बिता रहे हैं। नगर निगम के रैन-बसेरों में इन मजदूरों को आश्रय नहीं दिया जा रहा। इन मजदूरों की समस्या का समाधान न तो नगर निगम कर रहा है और न ही जिला प्रशासन। इन मजदूरों का सर्दी से बुरा हाल है।
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आईडी नहीं तो आश्रय नहीं
श्योपुर, इकलेरा, मनोहरथाना, ब्यावरा सहित मध्य प्रदेश के सैकड़ों लोग यहां मजदूरी करते हैं। ये मजदूरी करने के बाद जब रैन-बसेरे में सोने जाते हैं तो पता चलता है कि उन्हें यहां सोने के लिए पहचान-पत्र जमा कराना होगा। पहचान-पत्र नहीं होने से उन्हें रैन-बसेरे में आश्रय नहीं दिया जाता। मजदूरों का कहना है कि जिस रिक्शे को हम चलाते हैं वह किराए पर लिया हुआ है। किराए पर रिक्शा देने वाले ऑरिजनल आईडी रख लेते हैं।
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जब आईडी उनके पास रह जाती है तो यहां कैसे जमा कराएं। ऐसी स्थिति में ठंड में रात बितानी पड़ रही है। सर्द हवाओं में नींद तक नहीं आती। कई लोग बीमार भी हो रहे हैं। ऐसे करीब 50 से अधिक मजदूर हैं जो प्रतिदिन रात बिताने के लिए परेशान हो रहे हैं। सड़क किनारे से भी कई बार पुलिस रात को भगा देती है तो रिक्शे पर ही रात बितानी पड़ती है।

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