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कोटा कलक्टर की चेतावनी: देश के 3 बड़े राज्यों को चंबल के कोप से बचाना है तो इन 4 बांधों की करवानी होगी सिक्योरिटी ऑडिट, वर्ना…

locationकोटाPublished: Sep 25, 2019 09:37:12 am

Submitted by:

​Zuber Khan

Flood in Rajasthan: कोटा के जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने बांधों की सुरक्षा बढ़ाने पर जोर दिया है।

Kota Collector Muktanand Agarwal

कोटा कलक्टर की चेतावनी: देश के 3 बड़े राज्यों को चंबल के कोप से बचाना है तो इन 4 बांधों की करवानी होगी सिक्योरिटी ऑडिट, वर्ना…

कोटा. कोटा के जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने बांधों की सुरक्षा बढ़ाने पर जोर दिया है। शहर में बाढ़ के हालात सामान्य होने के बाद राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि बारिश का ट्रेंड लगातार बदल रहा है। पिछले दिनों जिस तरह के हालातों का सामना किया, उसके बाद बांधों की सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना होगा। चम्बल नदी पर स्थापित चारों बांधों की सिक्योरिटी ऑडिट भी करानी चाहिए, ताकि भावी खतरों का पहले से ही आकलन कर उनसे निपटने के रास्ते तलाशे जा सकें।
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बारिश शुरू होने के बाद कोटा में लगातार बाढ़ जैसे हालात बने रहे हैं। पहले कोटा में चम्बल नदी के डूब क्षेत्रों में पानी भरने और फिर अचानक कैथून में आई बाढ़ ने जिला प्रशासन को खासा चौकन्ना कर दिया। अनन्त चतुर्दशी से लेकर तीन चार दिनों तक हुई तेज बारिश ने मध्य प्रदेश से लेकर राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक के कई इलाकों को चम्बल के कोप का शिकार बना दिया। कोटा में 13 सितंबर से आई बाढ़ ने दो हजार से ज्यादा घरों को घेर लिया। जिसके चलते पांच हजार से ज्यादा लोगों को सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस एवं प्रशासन ने दिन रात बचाव एवं राहत अभियान चलाकर सुरक्षित निकाला। इस पूरे अभियान की कमान संभालने वाले कोटा कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने चिंता जाहिर की कि बीते सालों में जिस तरह बारिश का ट्रेंड लगातार बदल रहा है, उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।
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सिक्योरिटी ऑडिट पर हो विचार
मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि 13 से 15 सितंबर तक जिस तरह गांधी सागर से लेकर कोटा बैराज तक के बांधों में पानी की जबरदस्त आवक हुई और पानी की निकासी के लिए इन्हें लगातार खोलकर रखा गया, उसके बाद से ही इन बांधों की सिक्योरिटी ऑडिट जरूरी जान पड़ती है। 14 सितंबर को जिस तरह गांधी सागर के एक्सईएन ने फोन उठाना तक बंद कर दिया, उससे बांध की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते हैं। भविष्य में किसी तरह के बड़े हादसे का शिकार न होना पड़े, इसीलिए बांधों की सुरक्षा जांच पर विचार करना ही होगा।
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क्षमता और सुरक्षा भी बढ़े
अग्रवाल ने कहा कि पिछले सालों में जिस तरह अच्छी बारिश हुई है। उन आंकड़ों के साथ ही बांधों की भराव क्षमता की समीक्षा करने की भी जरूरत है। दशकों पुराने आंकड़ों के आधार पर बनाए बांधों की अब नए परिदृश्य में भराव क्षमता को दोबारा जांचना होगा। यदि आगे भी ऐसी ही बरसात होती रही तो इसे बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। जिस पर अभी से विचार किया जाए तो बेहतर होगा।
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