scriptखुलासा : कोटा डेयरी में खुली दलाली, 90 हजार में दिया फर्जी सरस बूथ, 3 महीने से कार्रवाई दबाकर बैठी राजस्थान एसीबी | Kota Dairy scam. fake Saras booth Allocated by Dairy Marketing Manager | Patrika News

खुलासा : कोटा डेयरी में खुली दलाली, 90 हजार में दिया फर्जी सरस बूथ, 3 महीने से कार्रवाई दबाकर बैठी राजस्थान एसीबी

locationकोटाPublished: Jun 10, 2019 11:21:38 am

Submitted by:

​Zuber Khan

कोटा सरस डेयरी में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां असिस्टेंट मार्केटिंग मैनेजर ने 90 हजार रुपए में फर्जी सरस बूथ आवंटित कर दिया। एसीबी जांच में भ्रष्टाचार उजागर हुआ लेकिन एसीबी मुख्यालय कार्रवाई पर फैसला नहीं कर पा रहा।

Kota Dairy scam

खुलासा : कोटा डेयरी में खुली दलाली, 90 हजार में दिया फर्जी सरस बूथ, 3 महीने से कार्रवाई दबाकर बैठी राजस्थान एसीबी

– दलाल के जरिए वसूली थी रकम

कोटा. सरस डेयरी ( Saras Dairy ) के असिस्टेंट मैनेजर मार्केटिंग ने नगर विकास न्यास (kota UIT ) की पुरानी एनओसी में फेरबदल कर अहिंसा सर्किल पर फर्जी तरीके से बूथ आवंटित ( fake Saras booth Allocated ) कर दिया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ( ACB ) की जांच में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार ( Corruption ) के आरोप के तथ्य भी सामने आ गए, लेकिन इसी बीच डेयरी का यह अफसर रिटायरमेंट लेकर घर चला गया। कोटा एसीबी ( Kota ACB ) पिछले तीन महीने से कार्रवाई करने की तैयारी में बैठी है, लेकिन एसीबी मुख्यालय इस बाबत कोई फैसला ही नहीं कर पा रहा।
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पूनम कॉलोनी निवासी मयंक कुमार ने एसीबी मुख्यालय में परिवाद दर्ज कराया था कि आरकेपुरम स्थित अङ्क्षहसा सर्किल पर सरस बूथ लेने के लिए दो साल पहले कोटा डेयरी के तत्कालीन असिस्टेंट मैनेजर एवं प्रभारी विपणन सतीश गगरानी ने 90 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। दो किस्तों में 50 हजार और 40 हजार रुपए लेने के बाद गगरानी ने बूथ आवंटित करने के लिए न सिर्फ मौका मुआयना किया, बल्कि दलाल के जरिए 100 रुपए के स्टाम्प पर लिखा-पढ़ी भी करवा दो साल के लिए बूथ संचालन की एनओसी जारी की थी। हालांकि बूथ का किराया डेयरी में जमा कराने के लिए कहा तो उन्होंने टाल दिया।

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पोल खुली तो लगे पैसे लौटाने
एनओसी का समय पूरा होने के बाद मयंक ने जब उसका रिनुअल कराने के लिए डेयरी के जेईएन नितिन को दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने इन्हें फर्जी बता दिया। मामले के तूल पकडऩे के बाद कोटा डेयरी ने विभागीय जांच कराई, जिसमें साबित हुआ कि तत्कालीन सहायक प्रबंधक विपणन सतीश गगरानी ने दलाल के साथ मिलकर बूथ आवंटन के कूटरचित दस्तावेज तैयार कराए थे। इतना ही नहीं फर्जी बूथ आवंटन के लिए वसूली 90 हजार रुपए वापस करने के लिए दलाल से मयंक के नाम पत्र लिखवाया था, जिस पर बतौर गवाह खुद के दस्तखत किए थे।
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मुख्यालय में दबी फाइल
विभागीय जांच के बाद डेयरी प्रशासन ने कोई कड़ी कार्रवाई करने के बजाय सतीश गगरानी को निलंबित कर पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया। हालांकि इसी बीच वह सेवानिवृत्त भी हो गए। जबकि मुख्यालय से परिवाद दर्ज होने के बाद एसीबी कोटा में तैनात निरीक्षक अजीत बगडोलिया को सौंपी गई। इसमें उन्हें दोनों ही लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के पर्याप्त सबूत मिले, जिसके आधार पर उन्होंने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) और 13 (2) के साथ-साथ आईपी की धारा 420, 468, 470, 471 और 120बी के तहत प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा कर दी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद एसीबी कोटा के एसपी दफ्तर ने भी 27 फरवरी 2019 को पत्र लिखकर यह रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी, लेकिन करीब साढ़े तीन महीने गुजर जाने के बाद भी एसीबी मुख्यालय इस प्रकरण में कार्रवाई करने के बजाय फाइल दबाकर बैठा है।
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विभागीय जांच के आधार पर सतीश गगरानी को निलंबित किया गया था। उसके बाद वह रिटायर हो गए और प्रकरण भी एसीबी में चला गया था। इसलिए हमने और कोई कार्रवाई नहीं की। सेवानिवृत्त होने पर देय लाभ उन्हें दिए गए या नहीं इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
– श्यामबाबू वर्मा, प्रबंध निदेशक, कोटा डेयरी

मुख्यालय ने सतीश गगरानी रिश्वत प्रकरण की जांच के निर्देश दिए। इसके बाद पूरे मामले की तफ्तीश कर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज कर कार्रवाई करने की अनुशंसा भेजी जा चुकी है। रिपोर्ट भेजने के बाद मुख्यालय ने अभी तक इस मामले में आगे की कार्रवाई करने के कोई निर्देश नहीं दिए।
– अजीत बगडोलिया, जांच अधिकारी, एसीबी कोटा

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