
एमबीएस अस्पताल
भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत एमबीएस हॉस्पिटल में करीब 950 प्री ऑथ अप्रव्ड क्लेम डिलीट करने के मामले में अधिकारी-कार्मिकों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। राजस्थान स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी ने एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक को पर्यवेक्षण में लापरवाही का दोषी माना है।
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गलत निर्देश देने और कार्य के प्रति लापरवाही के दोषी
तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉ. हेमंत गुप्ता को गलत निर्देश देने और अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने का दोषी माना है। संबंधित मार्गदर्शक को क्लेम सब्मिट नहीं करने के लिए लापरवाह माना है। इसके अलावा संबंधित वार्ड प्रभारी को भी दोषी माना है। राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्योरेंस एजेंसी ने प्राचार्य को कार्यवाई के लिए पत्र लिखा।
राजस्थान पत्रिका ने मामला उजागर किया
राजस्थान स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नवीन जैन ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और नियंत्रक को विभागीय कार्रवाई के लिए हाल ही में पत्र लिखा है। उल्लेखनीय है कि 'राजस्थान पत्रिका' ने गुजरे 15 जुलाई को समाचार प्रकाशित करके इस मामले को उजागर किया था। क्लेम डिलीट करने पर सरकार को करीब 83 लाख रुपए का नुकसान हुआ। बीमा कंपनी से इन रोगियों के उपचार के बदले जो राशि मिलनी थी, वह नहीं मिल पाएगी।
क्या है ये प्री ऑथ एप्रूव्ड केस
प्री ऑथ एप्रव्ड केस में वे रोगी आते हैं जिनको बीमा कंपनी ने कैशलेस उपचार कराने की अनुमति दे दी। इन मरीजों ने अस्पताल में उपचार भी कराया, लेकिन भामाशाह काउंटर से डिस्चार्ज नहीं हुए। वार्ड स्टाफ ने इनकी फाइल भामाशाह काउंटर के बजाए सीधे रिकॉर्ड में रूम में भेज दी।
Updated on:
24 Oct 2017 02:40 pm
Published on:
24 Oct 2017 02:33 pm
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