
कोटा . कलेजे का टुकड़ा कुछ देर के लिए भी आंखों से ओझल हो जाए तो उसे जन्म देने वाली मां का क्या हाल होता है। यह मां ही समझ सकती है। शहर में गत दिनों में कई आंखों के तारे अपने परिवार से बिछुड़े। ऐसे बिछुड़े कई नाबालिग बच्चों के माता-पिता का दर्द पुलिस ने समझा और खोए हुए लाल से परिजनों को मिलाया। पुलिस व मानव तस्करी यूनिट की टीम ने मिलकर परिवारों को खुशियां दी। इसके बावजूद 54 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें उनके परिजन ही नहीं पुलिस भी तलाश रही है।
313 को कराया बालश्रम से मुक्त
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में जहां 242 नाबालिगों को बालश्रम से मुक्त करवाकर 23 मामले दर्ज करवाकर 56 नियोक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई। वहीं, 2017 में 313 को बालश्रम से मुक्त कराया और विभिन्न थानों में 60 मामले दर्ज करवाकर 90 नियोक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की। इसी तरह वर्ष 2016 में 52 नाबालिगों को तथा 2017 में 74 को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराया।
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662 की कराई घर वापसी
शहर में वर्ष 2017 में 138 नाबालिग बालक-बालिकाएं परिजनों से बिछुड़े थे, जिनके संबंधित थानों में मुकदमें भी दर्ज हुए। पुलिस और मानव तस्करी विरोधी यूनिट की टीम ने प्रयास कर गुमशुदा बच्चों से अधिक 155 नाबालिगों को तलाश किया। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो पिछले वर्षों में गुमशुदा हुए। तलाशे गए 155 में से 45 बालक व 110 बालिकाएं हैं। जबकि अभी भी 54 बच्चे गुमशुदा हैं। इनमें 22 बालक व 32 बालिकाएं शामिल हैं। इनमें इस साल के शेष गुमशुदा 12 हैं। इसी तरह वर्ष 2016 में जहां 51 नाबालिग निराश्रितों को दस्तयाब कर परिजनों के सुपुर्द किया था। वहीं, 2017 में 43 को दस्तयाब किया गया। जबकि वर्ष 2017 में 671 महिला-पुरुष गुमशुदा हुए। इनमें से 662 को तलाश कर घर वापसी कराई गई।
शेष को भी तलाशने का काम जारी
कोटा शहर एसपी अंशुमान भौमिया ने बताया कि बच्चों का परिजनों से बिछुडऩा चिंताजनक है। पुलिस ने 2017 में गुमशुदा से ज्यादा बच्चों को तलाश किया है। शेष रहे बच्चों की तलाश की जा रही है। संबंधित थानों में बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और मानव तस्करी विरोधी यूनिट की टीम इसी काम में लगी हुई हैं।
Published on:
09 Jan 2018 07:12 am
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