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मां ने मोबाइल छीना, गुस्से में नाराज मासूम ने दे दी अपनी जान, मोबाइल मेनिया पीड़िता की एक दर्दनाक कहानी

Horrific Story Mobile Mania : राजस्थान के कोटा शहर में एक मां ने बस इतना कहा मोबाइल पर अब गेम मत खेलो। उससे मोबाइल छीन लिया। बस इतने पर नाराज 7वीं कक्षा की छात्रा अर्चना बैरवा ने अपनी जान दे दी। बेटी के आत्महत्या करने से मां-पिता बुरी तरह से आहत है। जानें मोबाइल मेनिया से कैसे बचें।

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Mother Snatched Mobile Angry innocent Child Committed Suicide a Horrific Story Mobile Mania

राजस्थान के कोटा शहर में मां के मोबाइल छीन लेने से छात्रा ने दी जान

Horrific Story Mobile Mania : कोटा शहर के अनंतपुरा तालाब बस्ती निवासी 7वीं कक्षा की छात्रा अर्चना बैरवा (14 वर्ष) ने 1 जुलाई सोमवार को मोबाइल पर गेम खेलने पर टोकने से नाराज होकर जान दे दी। अर्चना के पिता राधेश्याम बैरवा नल फिटिंग का काम करते हैं। परिजन से पूछताछ में पुलिस को दो दिन बाद यह पता चला कि उसे मां ने मोबाइल चलाने से टोका था। मैं बाजार से सब्जी लेकर रात 8 बजे घर पहुंची तो बेटी अर्चना ऊपर कमरे में मोबाइल में गेम खेल रही थी। मैंने तीन-चार बार जोर से आवाज लगाई, लेकिन वह मोबाइल चलाने में इतनी मशगूल थी कि कोई जवाब नहीं दिया। मैं ऊपर कमरे में गई और बेटी को डांटते हुए सिर्फ यह कहा था कि इतनी देर से गेम खेल रही है। मंगलवार (2 जुलाई) को स्कूल जाना है, बैग जमा ले और कुछ पढ़ाई कर ले और मोबाइल छीनकर मैं नीचे आ गई थी। बमुश्किल 20-25 मिनट बाद अर्चना को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। ऊपर कमरे में गई तो उसने दरवाजा बंद कर रखा था। खिड़की से देखा तो वह जान दे चुकी थी।

बेटी के आत्महत्या करने से मां है आहत

ऐसे में मैं बुरी तरह घबरा गई और अर्चना के पिता को फोन किया। वह घर पहुंचे, दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इस दौरान पुलिस को भी फोन कर दिया। पुलिस के साथ अर्चना को लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अर्चना बैरवा की मां मंजू बैरवा इतनी सी बात पर बेटी के आत्महत्या करने से आहत है।

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चाचा बोले, स्कूल जाने के लिए उत्साहित थी

उसके चाचा सुखपाल बैरवा ने बताया कि वह पढ़ने में होशियार थी। एक जुलाई को ही महावीर नगर में प्राइवेट स्कूल में एडमिशन करवाया था, 2 को स्कूल जाना था। स्कूल जाने को लेकर वह उत्साहित थी। अर्चना के पास खुद का मोबाइल नहीं था। वह मां का मोबाइल ही चलाती थी। ऐसा भी नहीं था कि हमेशा मोबाइल ही चलाती थी, कुछ देर ही मोबाइल चलाती थी, लेकिन अचानक यह कदम उठा लिया।

कहीं वे अपनों से दूर तो नहीं होते जा रहे…

वरिष्ठ मनोचिकित्सक, मेडिकल कॉलेज कोटा डॉ. बीएस शेखावत ने बताया कि मोबाइल के अधिक उपयोग से बच्चों में इस तरह की मनोवृत्ति आ रही है कि वह अपनों से दूर होते जा रहे हैं। गुस्सा अधिक करते हैं। मारपीट को उतारू हो जाते हैं। पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते। मोबाइल पर हिंसक गेम खेलने और आपत्तिजनक सामग्री देखने के बाद बच्चा अकेला रहना पसंद करता है। छोटी-छोटी बातों पर नाराज होता है। मोबाइल हाथ से लेते ही गुस्सा करता है या तोड़फोड़ करने की कोशिश करता है। ऑफलाइन अध्ययन शुरू होने के बावजूद मोबाइल से पढ़ाई करने का बहाना करता है।

5 दिन पहले 5वीं की छात्रा ने दी थी जान

राजस्थानके जोधपुरशहर में आरना (11) पुत्री डॉ. प्रवीण कुमार आनंद ने 28 जून की शाम घर में जान दे दी थी। उसके पिता वैज्ञानिक हैं और मां डॉक्टर। मां ने उसे टेबलेट में व्यस्त रहने पर डांटा था। इसी के चलते उसने जान दे दी थी। वह पांचवीं कक्षा की छात्रा थी।

क्या करें - डांटने से नहीं मन की बात पूछें

1- बच्चों को समय दें,आउटडोर गेम खेलें, बात करें।
2- अभिभावक स्वयं मोबाइल का सीमित उपयोग करें।
3- बच्चों की हर गतिविधि का ध्यान रखें।
4- देखें वह किस तरह के कंटेंट देख रहा है।
5- बच्चा असामान्य व्यवहार कर रहा है तो उसे डांटें नहीं।
6- अपने मन की बात शेयर करने के लिए प्रेरित करें।

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