खुलासा: ऑनलाइन हुआ सट्टे का धंधा, मोबाइल एप और विदेशी वेबसाइटों से हो रहा करोड़ों का कारोबार, पढि़ए कैसे चलता है सट्टा बाजार
दांव लगाने के लिए यह ऑनलाइन सट्टा कंपनियां एक मोबाइल एप देती हैं। जिसके लिए चार तरह की मेम्बरशिप ऑफर की जाती है। पहली लाइव गेम की जर्नल मेम्बरशिप चार हजार रुपए की बताई गई। जबकि एक दिन की वीआईपी मेम्बरशिप की कीमत 15 हजार, एक हफ्ते की वीवीआईपी मेम्बरशिप 45 हजार से लेकर 95 हजार और एक महीने की सुपर वीवीआईपी मेम्बरशिप डेढ़ से ढ़ाई लाख रुपए तक में दी जा रही है। सट्टा कारोबारियों के पंटर सबसे मंहगी मेम्बरशिप के साथ घाटा रिकवर करने वाली स्कीमों के भी ऑफर देने से नहीं चूके।
आईडी पासवर्ड और गेम शुरू मेम्बरशिप फीस चुकाने के बाद ऑनलाइन सट्टा कारोबारी सबसे पहले क्लाइंट की डिजिटल आईडी बनाकर पासवर्ड दे रहे हैं। एकाउंट एक्टिव होते ही मोबाइल एप दिया जा रहा है। जिस पर क्लाइंट लाइव दांव लगा सकता है। हालांकि सट्टे का पूरा लेनदेन ई वॉलेट के जरिए ही हो रहा है। भारतीय वेबसाइटें रुपए में लेनदेन कर रही हैं। जबकि विदेशी साइटें बिटकाइन और विदेशी मुद्रा में। जिस ई वॉलेट से लेनदेन किया जाता है उसे क्लाइंट की डिजिटल आईडी के साथ ही रजिस्टर कर लिया जाता है। दूसरे मोबाइल नंबर और ई वॉलेट से लेनदेन नहीं होता। बड़ी बात यह है कि यूरोपियन मुल्कों में सट्टा कानून होने की वजह से ग्लोबल साइटें भुगतान की गारंटी भी देती हैं।
पुलिस मजबूर, धंधा मजबूत दिग्गज साइबर एक्सपर्ट डॉ. अनूप गिरधर ऑनलाइन सट्टा कारोबार के तेजी से फैलने की वजह बताते हुए कहते हैं कि भारतीय कानूनों के मुताबिक खाई बाड़ी करने वाले लोकल सटोरियों को पकड़कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना पुलिस के लिए जितना आसान है ऑनलाइन सट्टेबाजों, साइटों और मोबाइल एप कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करना उतना ही मुश्किल। जिस तेजी से सट्टे के संगठित अपराध में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा रहा है उस गति से इसकी नब्ज तोडऩे में पुलिस न तो प्रशिक्षित है और नाही पोर्टल आदि के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के लिए पुख्ता कानून। पुलिस के पास जांच करने के लिए संसाधन तक नहीं है। ऐसे में एक ही तरीका है कि कोर्ट के आदेशों पर जिस तरह पोर्न साइटें बैन की गई सट्टा और ऑनलाइन बीटिंग साइट्स पर भी सरकार प्रतिबंध लगाए।
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हाल ही में ऑन लाइन सट्टा लगवाते हुए दबोचे गए सटोरियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के साथ-साथ साइबर एक्ट में भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। गिरफ्तार लोगों से सट्टा खिलवाने वाली वेबसाइटों और मोबाइल एप के बारे में पूछताछ की जा रही है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।