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‘ये खंजर इतना तेज है कि लोहे को काट दे…’, राजस्थान में यहां खुलेआम धारदार हथियारों की हो रही अवैध बिक्री, देखें पत्रिका स्टिंग ऑपरेशन

Patrika Sting Operation: बाजार में केवल बिना धार और सजावटी हथियारों की ही बिक्री की अनुमति है। इसके बावजूद बरुधन गांव की दुकानों पर तलवारें और भाले खुलेआम बिक रहे हैं।

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फोटो: पत्रिका

Illegal Sale Of Sharp Weapons: बूंदी जिले के बरुधन गांव में हाई-वे किनारे खुलेआम तलवार और खंजर जैसे धारदार हथियारों की अवैध बिक्री हो रही है। पत्रिका टीम के स्टिंग ऑपरेशन कर खुलासा किया कि सजावट और शो-पीस के नाम पर दुकानदार न सिर्फ धारदार हथियार बेच रहे हैं, बल्कि नाबालिग भी बिना किसी पहचान-पत्र या अनुमति के इन्हें खरीद रहे हैं।

नियमों के मुताबिक बाजार में केवल बिना धार और सजावटी हथियारों की ही बिक्री की अनुमति है। इसके बावजूद बरुधन गांव की दुकानों पर तलवारें और भाले खुलेआम बिक रहे हैं। पत्रिका टीम ने जब खरीदारी का प्रयास किया तो न तो लाइसेंस पूछा गया और न ही पहचान-पत्र। दुकानदारों ने सीधे हथियार थमा दिए।

नाबालिगों तक आसान पहुंच

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 18 साल से कम उम्र के किशोर भी आसानी से इन हथियारों को खरीदते नजर आए। कानून के अनुसार इस तरह की बिक्री समाज और कानून-व्यवस्था दोनों के लिए गंभीर खतरा है। बिना लाइसेंस हथियार बेचना आर्म्स एक्ट और आइपीसी की धाराओं के तहत गंभीर अपराध है। बावजूद इसके यह कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है।

अपराधियों के हाथों में हथियार

ग्रामीणों और स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अवैध कारोबार के चलते आपराधिक तत्व आसानी से हथियार हासिल कर रहे हैं। छोटी-सी कहासुनी और विवाद में भी लोग हथियार निकाल लेते हैं। इससे न केवल गांव बल्कि आसपास के इलाकों में भी हिंसा और अपराध की घटनाएं बढ़ने का खतरा है। लोगों का आरोप है कि वर्षों से यह धंधा चल रहा है और पुलिस-प्रशासन अनदेखी कर रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगी तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

जांच करवाई जाएगी

अगर कोई सजावट के नाम पर धारदार हथियार बेच रहा है, तो यह गलत है। इस संबंध में जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

राजेंद्र गोयल, डीआईजी कोटा रेंज

दुकानदार आसिफ सिकलीगर और पत्रिका टीम के बीच बातचीत

पत्रिका टीम : आपके पास कौन-कौन से हथियार मिलते हैं।

दुकानदार : तलवार, गुप्ती, चाकू और खंजर सब मिल जाते हैं।

पत्रिका टीम : लेकिन इन हथियारों में तो धार ही नहीं है।

दुकानदार : हम धार वाले हथियार नहीं बेचते। आप यहां से खरीद लीजिए और बाद में कहीं भी जाकर धार करवा सकते हैं।

पत्रिका टीम : अरे, हम कहां जाएंगे धार करवाने के लिए? आप ही करवा दो।

दुकानदार : सर, ये काम मैं नहीं कर सकता। अगर ऐसा किया तो पुलिस मुझे पकड़ लेगी।

पत्रिका टीम : ठीक है, तो रहने दो। हम कहीं और से तलवार खरीद लेंगे।

दुकानदार : अरे आप रुकिए, मैं आपको हमारी खास तलवार दिखाता हूं। यह जीप की कमानी से बनी हुई है और बाकी तलवारों से मजबूत है। एक बार देख तो लीजिए।

पत्रिका टीम : लेकिन जब आप धार लगवाकर नहीं दे रहे तो इसका क्या फायदा।

दुकानदार : ये तलवार देखिए। इसकी कीमत सात हजार रुपए है।

पत्रिका टीम : पैसे भी ज्यादा मांग रहे हैं और धार भी नहीं लगवाकर दे रहे। फिर ये किस काम की हुई।

दुकानदार : आप सिर्फ दाम पर मत जाइए, चीज को भी देखिए। अगर आप धार लगवाने की बात कर रहे हैं तो मैं तलवार बूंदी ले जाकर धार लगवाकर दे दूंगा, लेकिन इसके लिए आपको अतिरिक्त पैसे देने होंगे और तलवार दो दिन बाद मिलेगी।

पत्रिका टीम : इसके अलावा आपके पास और कौन-कौन से हथियार हैं।

दुकानदार : तलवार तो मैंने दिखा दी, अब ये खंजर देखिए। यह इतना तेज है कि लोहे तक को काट देता है। इसके बाद उसने एक लोहे के टुकड़े को उस खंजर से काटकर भी दिखाया। इसकी कीमत उसने 750 रुपए बताई।

नोट: पूरी बातचीत का वीडियो राजस्थान पत्रिका के पास उपलब्ध है।