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वित्त वर्ष 2016-17 में केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बेघर लोगों को छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की गई थी। 25 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में रसोई और शौचालय के साथ-साथ आवास निर्माण के दौरान ग्रामीणों को बेरोजगारी से बचाने के लिए 149280 रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
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वित्त वर्ष 2016-17 में इस योजना के जरिए कोटा जिले में 5194 बेघरों को आवास मुहैया कराने का लक्ष्य जिला परिषद को दिया गया था। जिसमें से परिषद ने 95.01 फीसदी लक्ष्य हासिल भी कर चुकी है। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में पिछले साल के करीब आधे 2583 लोगों के लिए ही आवास बनाने का लक्ष्य मिला था। जिसमें से परिषद ने तय समय पर 92.72 फीसदी निर्माण कार्य पूरा कर लिया। वहीं बीते वित्त वर्ष 2018-19 में 2770 आवास निर्माण का लक्ष्य मिला था जिसमें से 92.31 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया गया।
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नेशनल रेंकिंग का मिला तोहफा
जिला परिषद की मुख्यकार्यकारी अधिकारी शुभम चौधरी ने बताया कि 10 मई को राष्ट्रीय स्तर पर जारी की गई योजना की रैंकिंग में कोटा ने 117 वां स्थान हासिल किया था। जिले का प्रदर्शन अच्छा होने के कारण वित्त वर्ष 2019-20 में 5419 आवासों के निर्माण का लक्ष्य मिला है। जिस पर करीब 80.89 करोड़ रुपए खर्च होंगे। बीते सालों में बेघरों को छत मुहैया कराने के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा लक्ष्य है। जिसे समय पर पूरा कर कोटा जिला परिषद राष्ट्रीय रैंक में और ज्यादा अच्छी जगह बनाने की पूरी कोशिश करेगी।
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बनेंगे मॉडल आवास
सीईओ ने शुभम चौधरी ने बताया कि बीते सालों में जहां-जहां आवासों का निर्माण अटका था उनकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई गई। जिसके बाद पता चला कि अधिकांश लोग योजना के मुताबिक आवास न बनाने के कारण नियत समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं कर पाते। इसलिए इस बार हर पंचायत समिति स्तर पर दो मॉडल आवास बनाए जाएंगे। ताकि लाभार्थी इन्हें देखकर अपना निर्माणकार्य सरलता से पूरा कर सकें।