हवाईअड्डे के लिए मिले नि:शुल्क जमीन
राज्य बजट में सरकार की ओर से इस बार नए हवाई अड्डे के लिए कोटा में नि:शुल्क जमीन आवंटित किए जाने की घोषणा की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव की एक सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने हवाई सेवा के लिए नि:शुल्क जमीन देने का वादा किया था। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में यह घोषणा हुई थी। ऐसे में कोटा की जनता इस घोषणा की उम्मीद कर रही है।
न्यास ने नए मास्टर प्लान में हवाई अड्डे के लिए भूमि का प्रावधान करने का उल्लेख भी किया है। मौजूदा हवाई अड्डे का रनवे छोटा होने के कारण यहां से बड़े विमान नहीं उड़ सकते, इसलिए हवाई सेवा शुरू नहीं हो पा रही है।
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मुकुन्दरा हिल्स को गांवों के विस्थापन का इंतजार
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बसे गांवों को जल्द ही विस्थापन की दरकार है। टाइगर रिजर्व में इस वक्त दो बाघ व दो बाघिन हैं। इनमें से एक जोड़ा 80 वर्ग किलोमीटर के दायरे में मूवमेंट कर रहा है, वहीं एक अन्य जोड़ा खुले में विचरण कर रहा है। टाइगर रिजर्व को बने छह साल हो गए, लेकिन अब भी इसमें बसे 14 गांवों का विस्थापन नहीं हो पाया है। ग्रामीण चाहते हैं कि उन्हें उनकी मंशा के मुताबिक पैकेज को बढ़ाकर दिया जाए तो वह गांव छोड़ दें, वहीं लंबे समय से ग्रामीणों द्वारा की जा रही मांग के बावजूद अब तक सरकार ने पैकेज का इजाफा नहीं किया है। हालांकि हाल ही गांवों के विस्थापन के लिए कमेटी का गठन कर विभाग ने गांवों का सर्वे शुरू किया है। घाटी गांव से इसकी शुरुआत की गई है, वहीं तीन दिन पूर्व कोटा आए वनमंत्री ने महंगाई के अनुरूप पैकेज बढ़ाने का आश्वासन भी दिया है। Manappuram Gold Robbery: आखिर कहां ठिकाने लगाया देशभर से लूटा 500 करोड़ का सोना, अब तेलिया उगलेगा राज उद्योगों के अनुकूल नई नीति बने
कोटा में औद्योगिक ठहराव आ गया है। पिछले तीन दशक से कोटा में किसी भी तरह के वृहद उद्योग की स्थापना नहीं हुई है। कोटा के उद्यमी चाहते हैं कि कोटा में कोई बड़ा उद्योग आए, ताकि उस पर आधारित लघु और कुटरी उद्योग भी चल सकें। प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल नई औद्योगिक नीति की घोषणा की भी उम्मीद है। उद्योग विभाग ने नई नीति को लेकर पिछले दिनों प्रदेशभर के उद्यमियों से सुझाव भी लिए थे। साथ ही, बंद उद्योगों के पुनर्संचालन की दिशा में भी कदम उठाने की जरूरत है। स्टार्ट अप को भी बढ़ावा दिया जाए। पत्थर उद्योग कोटा की अर्थव्यवस्था की धुरी है। इसलिए स्मार्ट पार्क की घोषणा की भी उम्मीद है।
सुपर स्पेशयलिटी विंग को मिले गति
150 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज परिसर में बनी सुपर स्पेशयलिटी विंग 15 करोड़ के फेर में अटकी पड़ी है। बजट के अभाव में विंग हैंडओवर नहीं हुई है। इससे विंग अपनी पूरी गति नहीं पकड़ पा रही है। राज्य सरकार के हिस्से की राशि शेष है। इसके अलावा परम विशेषज्ञ चिकित्सकों की दरकरार है। ऐसे में राज्य सरकार बजट में कोटा की उम्मीद को पूरा कर सकती है। इससे मरीजों की जयपुर व दिल्ली तक की दौड़ नहीं होगी। उन्हें एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलना शुरू हो जाएंगी। केन्द्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में 150 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बना है। इसमें 120 करोड़ केन्द्र सरकार व शेष राशि राज्य सरकार को देनी थी। मई 2016 को इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। नवम्बर 2017 में पूरा होना था, लेकिन निर्माण कम्पनियों के आपसी मनमुटाव के चलते काम अटक गया था। मामला सुलझने पर ही निर्माण हो सका। काम पूरा होने पर केन्द्र ने अपने हिस्से की राशि निर्माण कम्पनी को सौंप दी, लेकिन राज्य सरकार ने अपने हिस्से के 30 करोड़ में से 15 करोड़ तो एचएससीसी कम्पनी को जमा करवा दिए, लेकिन 15 करोड़ की राशि अभी तक जमा नहीं कराई। इसके चलते कम्पनी ने इस विंग को मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हैंडवर्क नहीं किया। हालांकि यहां पर सरकार ने 12 परमविशेषज्ञों के पद तो सृजित कर दिए, लेकिन एक भी चिकित्सक नहीं लगाया गया।
अंटाघर चौराहे और एरोड्राम सर्किल पर यातायात की समस्या से निजात पाने के लिए अंडरपास का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इस बजट में इनकी घोषणा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
खाद्य प्रसंस्करण को मिले बढ़ावा
किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए हाड़ौती समेत प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है। खेत पर ही प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने के लिए किसानों को अनुदान दिया जाए। साथ ही, खेती के साथ पशुपालन, डेयरी पालन और मधुमक्खी पालन को भी प्रोत्साहित करने की दरकार है।
भामाशाह मंडी का हो विस्तार
भामाशाहमंडी के विस्तार की मांग उठ रही है, लेकिन विस्तार की योजना आगे नहीं बढ़ पाई है। मंडी में हाड़ौती के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों व मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों के किसान अनाज बेचने आते हैं। इस कारण मंडी सीजन में छोटी पड़ जाती है। मंडी से सटी वन विभाग की जमीन को लेने की प्रक्रिया भी चल रही है। मामला केन्द्रीय वन मंत्रालय की अंतिम अनुमति में लम्बित चल रहा है।