
अब्दुल हमीद गौड़
कोटा . बचपन में एक कहानी ईदगाह पढ़ी थी। कहानी में मासूम हामिद मेला देखने के लिए निकला था। दादी अमीना ने उसे तीन पैसे देकर मेला देखने भेजा था, मगर हामिद था कि उसे दुनिया की कोई चीज पसंद नहीं आई। रोटी बनाते तव्वे पर चिपकती, झुलसती दादी की अंगुलियां नजर आई और वह अपनी दादी के लिए उन पैसों से चिमटा ले आया। जीवन की कहानियों के पात्र बदलते हैं। बात यहां भी एक हमीद की ही हो रही है। काला तालाब निवासी अब्दुल हमीद का दिल भी कुछ एेसा ही है। वे शहर के कई जरूरतमंदों के लिए सांता हैं।
सुरक्षा कवच' देते हैं
सर्दी से कंपकंपाते शरीर को वे कभी जर्सी पहना देते हैं, तो कभी तपती जमीन से झुलसते पैरों को चप्पल के रूप में 'सुरक्षा कवच' दे देते हैं। कितने लोगों की मदद वे कर चुके हैं, इसका कोई लेखा जोखा नहीं। अब्दुल हमीद गौड़ स्वयं बताते हैं कि एक मजदूर की मृत्यु हो गई थी। उसके परिवार में कोई कमाने वाला भी नहीं था। स्थिति को देखकर सहयोग किया तो खुशी मिली। चार वर्षों से सिलसिला चल रहा है। पत्नी शबनम, बेटे असलम व अकरम का पूरा सहयोग।
Read More: वृद्धाश्रम की आड़ में किया जा रहा था ये काम , निरीक्षण हुआ तो खुल गई पोल
कार की डिक्की में भरे हैं जर्सियां और चप्पल
अब्दुल हमीद गौड़ अपनी कार की डिक्की में सर्दी के दिनों में जर्सियां भर कर रखते हैं। गर्मी के दिनों में चप्पल भरा बैग। जिस राह से भी वो निकलते हैं और रास्ते में कोई जरूरतमंद मिल जाता है वे वाहन को रोककर उसे अपने हाथों से सर्दी में जर्सी तो गर्मी में चप्पल भेंट कर देते हैं। हमीद बताते हैं कि यह कार्य व यहां-वहां आते जाते ही करते है। एेसा करने से उन्हें प्रसन्नता का अनुभव होता है। हमीद साल में एक बार अपने सामर्थ्य के अनुसार विधवा महिलाएं जो खुद पर निर्भर हो को गेहूं भेंट करते हैं।
परिवार के लिए प्रेरणास्पद
अब्दुल हमीद के भतीजे आलम खान ने बताया कि चाचा का यह कार्य परिवार के लिए प्रेरणास्पद है। बेहद सुकून महसूस होता है, खुशी होती है, जब वे अपने मिशन को निकलते हैं। पूरे परिवार का मानना है कि दीन दुखियों की सेवा ईश्वर, अल्लाह की पूजा के समान है। अल्लाह उन्हें इसी नेक रास्ते पर बढ़ाता रहे, हम सभी की यही प्रार्थना है।
Published on:
20 Dec 2017 12:42 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
