scriptखुलासा: एमबीएस के बाद अब नए अस्पताल में घोटाला, महंगे दामों पर खरीदे इंजेक्शन, अफसरों में बंटा कमीशन | Scam in injection purchase in kota New Medical College Hospital | Patrika News

खुलासा: एमबीएस के बाद अब नए अस्पताल में घोटाला, महंगे दामों पर खरीदे इंजेक्शन, अफसरों में बंटा कमीशन

locationकोटाPublished: Apr 23, 2019 09:07:08 am

Submitted by:

​Zuber Khan

नए अस्पताल में डायलिसिस में काम आने वाले एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन की खरीद में बड़ा घोटाला सामने आया है। अस्पताल प्रशासन ने महंगे दामों पर 1040 इंजेक्शन खरीद कर घपला कि‍या है।

Kota New Medical College Hospital

खुलासा: एमबीएस के बाद अब नए अस्पताल में घोटाला, महंगे दामों पर खरीदे इंजेक्शन, अफसरों में बंटा कमीशन

कोटा. kota new medical college hospital में डायलिसिस में आने वाले एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन की खरीद में गड़बड़झाला सामने आया है। ड्रग वेयर हाउस में उपलब्ध होने के बाद भी Erythropetin injection अधिक दर पर खरीदे गए। औषधि नियंत्रक विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है। जांच टीम ने बताया कि नए अस्पताल के ड्रग वेयर हाउस के दस्तावेज की जांच में सामने आया कि 4 फरवरी को एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन की एनएसी जारी कर दी गई थी। इस बीच 13 फरवरी को सरकारी सप्लाई में 1040 इंजेक्शन ड्रग वेयर हाउस में पहुच गए।
BIG News: पूर्व मंत्री रामकिशन वर्मा के पौत्र को चाकूओं से गोदा, हालत नाजुक

इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन ने अनदेखी कर 19 फरवरी को सप्लायर्स फर्म को ऑर्डर जारी कर दिए। आर्डर के मुताबिक, सप्लायर फर्म ने 1 मार्च को 400 एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन सप्लाई कर दिए। इस इंजेक्शन की दर आरएमसीएल में 119 रुपए है, जबकि अस्पताल प्रशासन ने एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन बाजार से 172 रुपए में खरीदा है। इस रेट में भी जीएसटी अलग है। जांच दल ने माना कि नए अस्पताल में सरकारी सप्लाई पहुंचने के बावजूद इंजेक्शन खरीद निजी फर्म को फायदा पहुंचाने की कोशिश है।
यह भी पढ़ें

एक चिंगारी से दहला घर, तेज धमाके के साथ फूटी 55 एलईडी, निकाह सम्मेलन का लाखों का उपहार राख



जांच में डायलिसिस रोगियों के काम आने वाले एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन खरीद में घोटाला सामने आया है। सरकारी सप्लाई होने के बावजूद बाजार से इंजेक्शन खरीदे है। वह भी अधिक दर पर खरीदे गए।
देवेन्द्र गर्ग, सहायक औषधि नियंत्रक अधिकारी, कोटा
यह भी पढ़ें

राजस्थान में यह 358 बूथ हैं संवदेनशील, यहां चलता है दबंगों का सिक्का, धड़ाधड़ डलते हैं वोट



जीवन रक्षक दवा होने के कारण ड्रग वेयर हाउस से एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन की एनओसी जारी हुई। उसी आधार पर लेखाशाखा ने इसकी खरीद की अनुमति दी, लेकिन जब खरीद हुई तो पहले ही आरएमसीएल में इंजेक्शन पहुंच गए थे। स्टोर इंचार्ज को लेखाशाखा को इसकी जानकारी देनी थी, लेकिन नहीं दी गई। यदि वह देते तो हम ऑर्डर को रोक देते।
डॉ. देवेन्द्र विजयवर्गीय, अस्पताल अधीक्षक

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो