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भौरां गांव की 70% आबादी हुई चर्म रोग की शिकार, खुजलाते-खुजलाते हुए लहुलुहान

गांव भौंरा। नेशनल हाइवे पर स्थित। 70 प्रतिशत आबादी चर्म के रोग से पीडि़त। नहीं कोई सुध लेने वाला।

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कोटा

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Anil Sharma

Jan 11, 2018

Skin Disease

सुल्तानपुर.

कस्बे से 15 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे के पास स्थित भौंरा गांव के ग्रामीण काफी समय से चर्म रोग का से परेशान हैं लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ले रहा। यहां 70 प्रतिशत आबादी चर्म रोग से पीडि़त है। हर घर में कोई न कोई चर्म रोग से पीडि़त है लेकिन शिकायतों के बाद भी चिकित्सा विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा। ग्रामीणों ने बताया कि दो वर्ष से गांव में यह बीमारी फैली है। इसमें बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गो, महिलाओं व युवकों के शरीर पर दानेदार फुंसियां हो जाती हैं और खुजली चलने लगती है।

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हालत यह होती है कि खुजलाते-खुजलाते परेशान हो जाते हैं। ग्रामीण सुरेन्द्र मीणा, राजकुमार व नंदकिशोर ने बताया कि उपचार के बाद भी राहत नहीं मिल रही। छोटे बच्चों से लेकर हर वर्ग इसकी चपेट में है। लोगों के शरीर पर चकते पड़े हुए हैं, तो कई लोग खुजालते- खुजालते लहुलुहान हो जाते हैं।

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कोटा करवा रहे उपचार
वयोवृद्ध बूची लाल ने बताया कि डेढ़ वर्ष पूर्व शुरू हुए इस रोग में उपचार के बाद आराम भी मिल जाता था लेकिन अब यह रोग पूरे गांव में फैल गया।
लोगों को काटा जाकर उपचार कराना पड़ रहा है लेकिन लंबे उपचार के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है। भाजयुमो मोर्चा सीमलिया के अध्यक्ष नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि इस बारे में कई बार प्रशासन को अवगत करवाया जा चुका लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा।

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प्रदूषण के कारण संभावित रोग
ब्लाक सीएमएचओ सुल्तानपुर डा० साहिबलाल मीणा का कहना है कि गांव में चर्म रोग को लेकर तीन बार चिकित्सा टीम भेजी जा चुकी है। उच्चाधिकारियों को भी रोग की समस्या से अवगत करवा दिया गया। गांव में चर्म रोग गढ़ेपान फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं व पानी से उत्पन्न् प्रदूषण के कारण संभावित है। फिर भी रोकथाम के प्रयास किए जाएंगे।

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थक गए उपचार करवाते-करवाते
गांववासी राजकुमार का कहना है कि गांव में हर घर में चर्म रोग फैला हुआ है। गांव के सरकारी चिकित्सालय से लेकर कोटा तक जाकर उपचार करवा लिया। उपचार लेने पर रोग ठीक तो हो जाता है लेकिन बाद में फिर रोग फैल जाता है।

औपचारिकता करते पूरी
गांववासी भौंरा बुजुर्ग बूची लाल का कहना है कि गांव में चर्म रोग के बारे में सभी को पता है लेकिन कोई सुध नहीं लेता। कभी च्चाधिकारियो से शिकायत करने पर चिकित्सक आते हैं लेकिन वह भी दवा देकर औपचारिकता कर जाते हैं। किसी ने रोग फैलने के कारणों का पता लगाने में रुचि नहीं दिखाई।