व्यापारी ने उधार लिया 15 लाख, 2.50 करोड़ दे चुका ब्याज, फिर भी सूदखोर मांग रहा 60 लाख
जानकारी के अनुसार गलत खान-पान एवं अन्य कई कारणों से बच्चों के पेट में कीड़े पडऩा आम बात है। इससे स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है, वे कुपोषण का शिकार होते हैं। इस समस्या से निजात के लिए बच्चों को डिवर्मिंग गोलियां भी खिलाई जाती हैं। बावजूद इसके समस्या आम है। लिहाजा, परिषद ने बच्चों के मल की जांच कराने का निर्णय किया है।
बारां में बीच बाजार बदमाशों ने दो युवकों पर की अंधाधुन फायरिंग, एक गंभीर घायल, इलाके में दहशत
संस्था को सौंपा जिम्मा विभाग ने नमूनों की जांच एवं नमूना संग्रहण के लिए डीवर्म द वल्र्ड इनिशिएटिव संस्थान को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। संस्था सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 50-50 बच्चों के मल के नमूने एकत्र करेगी। संबंधित स्कूल के शिक्षक संस्था के प्रतिनिधियों के साथ बच्चों के घर जाएंगे और अभिभावकों की सहमति लेकर नमूने एकत्र कराएंगे। राज्य के 25 जिलों में ये सर्वे होगा। हाड़ौती में सिर्फ बूंदी व कोटा जिले का चयन किया गया है।यहां बारिश होते ही उखड़ जाती है लोगों की सांसे, टापू बन जाते गांव और महीनों तक कट जाता सम्पर्क
विरोध में उतरे शिक्षक
– बच्चों के मल के नमूने लेने संबंधी जो आदेश निकाला है, वह व्यावहारिक नहीं है। पहले से ही शिक्षक कई गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझे हैं। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग को देखना चाहिए। शिक्षक संगठन इसका विरोध करता है।
-अशोक नागर, जिला कोषाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
–गुलाम जिलानी सभाध्यक्ष शिक्षक संघ शेखावत कोटा