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बूंदी पुलिस ( Bundi Police ) के अफसरों ने आरोपी को बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था और बिना एफएसएल जांच रिपोर्ट आए अंतिम निष्कर्ष तक पहुंच गए। धारीवाल ने भी माना कि पुलिस उपाधीक्षक और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने अपनी जांच में आरोपित को बचाने का प्रयास किया। मामले की अब तीसरी बार जांच शुरू की गई है। इस मामले में पीडि़तों से नौ बार पूछताछ की गई और पीडि़तों का कहना है कि उनके बयान तोड़मरोड़ कर लिखे गए।
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जानकार सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के अनेक मामलों में सुसाइड नोट की एफएसएल जांच के बिना ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली, वहीं बंशीलाल के मामले में आरोपियों को बचाने के लिए पहले तो कई महीनों तक सुसाइड नोट एफएसएल नहीं भेजा और बाद में उसकी रिपोर्ट का इंतजार किए बिना अंतिम रिपोर्ट लगाने की अनुशंसा कर दी। इसके लिए पुलिस ने आरोपियों के गवाहों के बयान को ही आधार बना दिया। मामले में पहले केशवरायपाटन के उपाधीक्षक ने जांच की और फिर बूंदी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने जांच की थी। सूत्रों के अनुसार पुलिस महानिरीक्षक विपिन कुमार पाण्डेय ने जयपुर में स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल से मुलाकात के दौरान इस प्रकरण में अब तक हुई प्रगति की जानकारी दी। पुलिस जांच दो बार एफआर के नतीजे पर कैसे पहुंची, यह भी उन्हें बताया।
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सूत्रों के अनुसार धारीवाल ने इस प्रकरण में पुलिस की भूमिका सही नहीं होने की बात कहकर आईजी से कड़े शब्दों में नाराजगी जताई। इस मामले में धारीवाल ने बताया कि केशवरायपाटन के उपाधीक्षक ने जांच के दौरान आरोपित के पक्ष के लोगों के बयान लिए और एफएसएल रिपोर्ट आने का इंतजार भी नहीं किया और एफआर के नतीजे पर पहुंच गए। बंशीलाल के पक्ष के गवाहों से बात नहीं की गई। केवल आरोपित के पक्ष के गवाहों से बात करके यह साबित करने की कोशिश की कि आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा मामला हुआ ही नहीं है। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने जांच की तो उन्होंने भी ऐसा ही किया।
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इस मामले को बूंदी पुलिस देख रही है, वहां के अधिकारियों को ही इसकी ज्यादा जानकारी है। विपिन कुमार पाण्डेय, पुलिस महानिरीक्षक कोटा उपाधीक्षक और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की जांच में ये प्रतीत होता है कि बंशीलाल आत्महत्या प्रकरण में सुसाइट नोट में उकसाने का उल्लेख होने के बाद भी आरोपित को बचाने का प्रयास किया गया। –शांति धारीवाल, स्वायत्त शासन मंत्री