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कोटा . पुलिस की जिस जांच पर आरोपित को दंड और फरियादी को न्याय का दारोमदार टिका होता है, उसे पुलिसकर्मी किस फौरे लहजे में करते हैं इसकी बानगी आरटीआई में हासिल एक मामले में लिए बयानों की प्रति में मिली। एसपी दफ्तर के लोक सूचना अधिकारी की ओर से उपलब्ध कराई गई इस प्रति में फरियादी के नाम के अलावा कुछ भी सही नहीं है। बयान की तारीख से और घटना के दिनांक में पौने 2 माह का अन्तर है, और खास बात यह कि बयान पहले लिए, घटना बाद में हुई। यही नहीं, गलत जानकारी और गलत तथ्य इंद्राजगी पर चिंतित फरियादी जब एसपी और आईजी दफ्तर में गुहार लेकर पहुंचा तो उसे नौकरशाही अंदाज में अपील की सलाह दी जा रही है।
इंद्रा गांधी नगर डीसीएम निवासी नसरूद्दीन ने गुमानपुरा थाने में 15 मई 2017 को दिए गए धोखाधड़ी के एक परिवाद के संबंध में पुलिस द्वारा लिए गए उनके बयान व अब तक की कार्यवाही संबंधी जानकारी एसपी कार्यालय से आरटीआई में मांगी। उन्होंने गुजरी 22 जनवरी को आवेदन किया। लोक सूचना अधिकारी एएसपी (मुख्यालय) ने उन्हें बयान की प्रति 7 फरवरी को दी। लेकिन बयान की प्रति में गलत तथ्य और गलतियां देख वे खुद चौंक गए।
गलत जानकारी में भी बड़ी चूक
फरियादी नसरूद्दीन को जो प्रति दी गई, उसमें एएसआई लाभचंद ने 18 जुलाई 2017 को नसरूद्दीन के बयान लिए जबकि उसके बयानों में घटना की तारीख 6 सितम्बर 2017 रात 1 बजे की बता रखी है। यानि घटना से दो माह पहले ही फरियादी के बयान लेखबद्ध कर लिए।
आईजी-एसपी को दिए परिवाद, अपील की सलाह
नसरूद्दीन ने बताया कि अब वह सही जानकारी चाहने के लिए उन्होंने आईजी व एसपी को परिवाद दिए लेकिन उन्हें चक्कर कटवाए जा रहे हैं। आईजी कार्यालय ने उन्हें पत्र भेज बताया कि फिर से आरटीआई के फोरमेट में ही प्रथम अपील एसपी के यहां करनी होगी क्योंकि उन्हें सूचना एसपी कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से दी गई है।
केवल नाम सही, बाकी सब गलत
प्रति में केवल फरियादी का नाम नसरूद्दीन सही है बाकी जो भी जानकारी है वह न तो उनसे संबंधित है और न ही उनकी। पिता का नाम नजीर खां के स्थान पर अब्दुल सलाम लिखा हुआ है और घर का पता इंद्रा गांधी नगर डीसीएम के बजाय नेहरु नगर तेलघर। घटना की दिनांक 15 मई के स्थान पर 6 सितम्बर की बताई गई।
सही जानकारी उपलब्ध करा देंगे
एसपी कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी उमेश ओझा ने बताया कि गुमानपुरा थाने से जो जानकारी आई थी। वह परिवादी को उपलब्ध करा दी। जानकारी गलत और उससे संबंधित नहीं है तो सही जानकारी जल्द उपलब्ध करा देंगे। बयान और घटना की तारीख में जो अंतर है, वह लिपिकीय गलती है या एएसआई के लिखने में, इसको दिखवाएंगे।
Updated on:
22 Feb 2018 10:35 am
Published on:
22 Feb 2018 10:33 am
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