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Kadhi Chawal Benefits and Side Effects: कढ़ी-चावल कब खाएं और कब नहीं?

Kadhi Chawal Benefits and Side Effects: कब खाएं और कब बचें? : कढ़ी-चावल स्वादिष्ट और सेहतमंद है, लेकिन गलत समय पर खाने से नुकसान कर सकता है। जानें इसके फायदे, नुकसान और खाने का सही तरीका।

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भारत

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Manoj Vashisth

Oct 02, 2025

Kadhi Chawal Benefits and Side Effects

Kadhi Chawal at Night Good or Bad :(फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Kadhi Chawal Benefits : कढ़ी-चावल उत्तर भारत का एक पारंपरिक व्यंजन है, जिसका आनंद बड़े चाव से लिया जाता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी है। कढ़ी एक प्रोबायोटिक व्यंजन है क्योंकि इसमें दही होता है, जो पेट और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अच्छा होता है।

कढ़ी-चावल (Kadhi Chawal) खाना हर उम्र के लोगों को पसंद होता है, लेकिन गलत समय पर और गलत मात्रा में इसका सेवन शरीर के लिए हानिकारक होता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में कढ़ी-चावल बनाने की अलग-अलग विधियाँ हैं। पंजाब में पंजाबी कढ़ी या पकौड़े वाली कढ़ी पसंद की जाती है। गुजरात में मीठी कढ़ी पसंद की जाती है, जो कई तरह की सब्जियों से बनाई जाती है, लेकिन बिना बेसन के।

पारंपरिक कढ़ी में बेसन, हींग, करी पत्ता और लहसुन का भरपूर इस्तेमाल होता है, जिससे यह स्वादिष्ट और सेहतमंद दोनों बनती है।

कढ़ी आमतौर पर गर्म होती है, लेकिन दही मिलाने से यह पौष्टिक हो जाती है। इसके अलावा, इसे एक डिटॉक्स डिश भी माना जा सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद करी पत्ता, हींग और हल्दी पेट साफ़ करते हैं और आंतों में मौजूद खराब बैक्टीरिया को मारते हैं। यह कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्याओं से भी राहत दिलाता है।

ये 5 गलतियां जो कढ़ी को नुकसानदायक बना सकती हैं (Kadhi Chawal Kab Nahi Khana Chahiye)

किसी भी चीज को खाने का गलत समय या तरीका उसके फायदे को नुकसान में बदल सकता है। कढ़ी-चावल के साथ ये गलतियां न करें:

खांसी या ज़ुकाम में न खाएं :

आयुर्वेद कहता है कि अगर आपको खांसी या ज़ुकाम (Cough and Cold) है, तो कढ़ी-चावल खाने से बचें। दही के कारण यह कफ (Phlegm) को बढ़ा सकती है, जिससे आपकी तकलीफ़ बढ़ सकती है।

रात में खाना टालें:

दही से बनी कोई भी चीज, कढ़ी सहित, रात में नहीं खानी चाहिए। रात में दही खाने से वात और कफ दोष बढ़ सकते हैं और यह पाचन को धीमा कर सकता है।

डायबिटीज के मरीज रहें सावधान:

चूंकि इस व्यंजन में चावल होता है, यह रक्त शर्करा (Blood Sugar) को अचानक बढ़ा सकता है। इसलिए डायबिटीज वाले लोगों को या तो चावल से पूरी तरह परहेज करना चाहिए या बहुत कम मात्रा में लेना चाहिए।

बासी कढ़ी से परहेज:

हमेशा ताजी बनी हुई कढ़ी ही खाएं। बासी कढ़ी खाने से पेट में गैस (Gas), एसिडिटी और कब्ज़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो ताजी कढ़ी खाने से नहीं होतीं।

ज्यादा बेसन और मसाले:

कढ़ी को सेहतमंद बनाने के लिए बेसन की मात्रा कम रखें। ज्यादा बेसन और तेल में तला हुआ तड़का इसे भारी बना देता है। तेल की जगह घी का हल्का तड़का ही काफी है।

मधुमेह रोगियों को करी और चावल खाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह व्यंजन Blood Sugar में अचानक वृद्धि का कारण बन सकता है। किसी भी प्रकार के चावल से भी बचना चाहिए। इसके अलावा, रात में दही या दही से बने व्यंजन नहीं खाने चाहिए। हमेशा ताज़ी करी का सेवन करें। ताजी करी फायदेमंद होती है, जबकि बासी करी गैस और कब्ज पैदा कर सकती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।