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Night Owls Vs Early Birds: रात भर जागने वाले ज्यादा क्रिएटिव या सुबह उठने वाले ज्यादा फोकस्ड? जानें असली सच

Night Owls Vs Early Birds: हममें से कई लोग रात में काम करते हुए सबसे ज्यादा सक्रिय महसूस करते हैं, जबकि कुछ लोग सुबह जल्दी उठकर ऊर्जा से भरे रहते हैं। आइए, साइंस की नजर से समझते हैं असली सच।

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भारत

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MEGHA ROY

Nov 21, 2025

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Night vs morning brain performance|फोटो सोर्स –Freepik

Night Owls Vs Early Birds: क्या रात-भर जागने वाले लोग ज्यादा क्रिएटिव होते हैं या सुबह जल्दी उठने वाले ज्यादा फोकस्ड? यह बहस सोशल मीडिया से लेकर साइंस की दुनिया तक हमेशा गर्म रही है। हमारी बॉडी एक नैचुरल क्लॉक पर चलती है, जो तय करती है कि हम कब सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव, क्रिएटिव या अलर्ट महसूस करेंगे। लेकिन क्या वाकई “नाइट आउल” और “अर्ली बर्ड” के दिमाग अलग तरह से काम करते हैं? कई रिसर्च बताते हैं कि हमारी नींद का पैटर्न सिर्फ आदत नहीं, बल्कि ब्रेन के काम करने का तरीका भी बदल देता है। आइए, साइंस की नजर से समझते हैं असली सच।

अध्ययन क्या बताता है?

इम्पीरियल कॉलेज लंदन की डॉ. रूहा वेस्ट का कहना है कि हमारी नींद का पैटर्न सिर्फ पसंद नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता पर भी असर डाल सकता है। एक बड़ी स्टडी में 26,000 से ज़्यादा लोगों के दिमागी प्रदर्शन को परखा गया।नतीजे हैरान करने वाले थे जिन लोगों ने खुद को “नाइट आउल” बताया, यानी जो देर रात तक जागते हैं, उन्होंने कॉग्निटिव टेस्ट में सुबह जल्दी उठने वालों से बेहतर स्कोर किया।इंटरमीडिएट क्रोनोटाइप वाले, जो न पूरी तरह नाइट आउल हैं, न पूरी तरह मॉर्निंग टाइप वे भी अर्ली राइजर्स से बेहतर निकले।

नाइट आउल होना दिमाग के लिए अच्छा, लेकिन शरीर के लिए नहीं?

कई रिसर्च में पाया गया है कि रात को देर तक जागने की आदत लंबे समय में स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है।
शोध बताते हैं कि नाइट आउल्स में इन समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है, मेटाबॉलिक दिक्कतें, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का बिगड़ना, इंसुलिन रेजिस्टेंस, दिल से जुड़ी बीमारियां और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का खतरा भी थोड़ा बढ़ जाता है।

सुबह जल्दी उठने वालें

एक हालिया अध्ययन बताता है कि मॉर्निंग क्रोनोटाइप वाले लोगों में BMI कम होता है, कमर की चौड़ाई कम,
ट्राइग्लिसराइड और ग्लूकोज स्तर बेहतर और HDL यानी “अच्छा कोलेस्ट्रॉल” ज्यादा होता है।

क्या क्रोनोटाइप बदला जा सकता है?

पूरी तरह बदलना मुश्किल है, क्योंकि यह जैविक होता है।लेकिन नियमित रूटीन रखने से आप अपनी नींद का पैटर्न कुछ हद तक एडजस्ट कर सकते हैं।
और इसमें फायदा भी हैअगर आपकी नींद समाज के शेड्यूल से मैच करे, तो आपका मूड, फोकस, प्रोडक्टिविटी और यहां तक कि मेटाबॉलिज्म भी बेहतर हो सकता है।

क्या देर रात सोना हमेशा नुकसानदायक है?

  • थकान
  • ध्यान कम होना
  • मानसिक तनाव
  • वजन बढ़ना
  • इम्युनिटी कमजोर होना

नींद का कोई एक “सही फॉर्मूला” नहीं

नींद का कोई एक “सही फॉर्मूला” नहीं है।कुछ लोग रात में खिलते हैं, कुछ सुबह।जरूरी यह है कि आप अपनी बॉडी की जरूरतों को समझें और उसी के हिसाब से अपनी दिनचर्या सेट करें।