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Vikrant Massey: मंदिर-दरगाह जाने वाले विक्रांत ने बेटे के बर्थ सर्टिफिकेट में “धर्म” क्यों नहीं बताया?

Vikrant Massey On Religion: एक्टर विक्रांत मैसी ने अपने बेटे का धर्म बर्थ सर्टिफिकेट में नहीं बताया है। आइए जानते हैं कि ये कानूनी रूप से सही है और भारत का संविधान क्या कहता है।

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मुंबई

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Ravi Gupta

Jul 02, 2025

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Vikrant Massey Son religion: विक्रांत मैसी की फाइल फोटो, इंस्टाग्राम

Vikrant Massey On Religion: बॉलीवुड एक्टर विक्रांत मैसी ने धर्म को लेकर नई बहस छेड़ दी है। विक्रांत ने बेटे के बर्थ सर्टिफिकेट में धर्म का कॉलम खाली छोड़ दिया है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स अलग-अलग राय दे रहे हैं। एक्टर विक्रांत ने बेटे का धर्म क्यों नहीं बताया या क्यों छिपाया है। इसको लेकर कुछ कारण भी बताए हैं। जबकि, विक्रांत खुद मंदिर, दरगाह, गुरूद्वारा जाते रहते हैं। विक्रांत के इंस्टाग्राम पर पूजा-पाठ करते हुए कई तस्वीरें मिल जाएंगी। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर विक्रांत ने बेटे के धर्म को लेकर इतना बड़ा फैसला क्यों लिया है।

मैंने बेटे का धर्म नहीं बताया

एक्टर विक्रांत ने रिया चक्रवर्ती के साथ पॉडकास्ट में इसको लेकर चर्चा किया है। एक्टर ने कहा, मैंने बेटे के जन्म प्रमाण पत्र में धर्म का कॉलम नहीं भरा है। मुझे जब वो प्रमाण पत्र मिला तो उसमें धर्म का कॉलम भी खाली था। क्योंकि, सरकार आपको नहीं बोलती कि धर्म लिखना पड़ेगा। ये सबकुछ आप पर निर्भर करता है कि आप क्या करेंगे…।

मंदिर, दरगाह, गुरुद्वारा जाता हूं- विक्रांत मैसी

एक्टर का कहना है, "मेरे घर पर आपको हर प्रकार के धर्म मिलेंगे। मैं पूजा करता हूं, गुरूद्वारा भी जाता हूं, दरगाह भी जाता हूं… मुझे यहां पर शांति मिलती है।"

विक्रांत मैसी ने धर्म का कॉलम इसलिए खाली छोड़ा

इसके पीछे एक्टर ने वजह बताई है कि धर्म व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है। मैं अपने बेटे का धर्म कैसे बता सकता हूं। ये उस पर निर्भर करता है कि वो बड़ा होकर किस धर्म को मानेगा या नहीं मानेगा। ये फैसला उसका होना चाहिए। मैं अपने धर्म या आस्था को उस पर नहीं थोपना चाहता हूं।

धर्म, समानता और व्यक्तिगत पसंद को लेकर बहस

एक्टर विक्रांत मैसी के इस फैसले ने इंटरनेट की दुनिया में एक नई बहस छेड़ दी है। यूजर्स सोशल मीडिया पर धर्म, समानता और व्यक्तिगत पसंद को लेकर बात कर रहे हैं। कई लोग इस फैसले की सराहना कर रहे हैं तो वहीं, कुछ लोग नाराजगी भी व्यक्त करते दिख रहे हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 – 28)

हमारा संविधान धर्मनिरपेक्षता के मूल पर है। साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हमारे मौलिक अधिकार में से एक है। साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत करता है। ये अनुच्छेद नागरिकों को अपने धर्म पालन, धार्मिक प्रचार-प्रसार, धार्मिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।

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