
PC: IANS
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची से नाम काटे जाने को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और चुनाव आयोग के बीच चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। सपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग को 18 हजार हलफनामे सौंपे थे। अब लगभग तीन साल बाद इनमें से 15 हलफनामों की जांच पूरी हो चुकी है। राज्य के 3 जिलों के जिलाधिकारियों (DM) ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने-अपने जिलों का डेटा साझा कर सपा प्रमुख के आरोपों का खंडन किया है।
कासगंज जिले के डीएम ने अखिलेश यादव के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए एक्स पर लिखा कि ईमेल के माध्यम से जनपद कासगंज की विधानसभा 101 अमांपुर के अंतर्गत आठ मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत प्राप्त हुई थी। जांच में पाया गया कि सात मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो बार होने के कारण नियमानुसार एक नाम को हटा दिया गया था। इन सात मतदाताओं के नाम आज भी मतदाता सूची में शामिल हैं। एक मतदाता की मृत्यु होने के कारण उनकी पत्नी के द्वारा फार्म-7 भरा गया था, जिसके आधार पर मृतक का नाम हटा दिया गया था।
वहीं, बाराबंकी के डीएम ने 'एक्स' पर पोस्ट किया- बाराबंकी जिले के विधानसभा क्षेत्र 266-कुर्सी के 2 मतदाताओं के शपथ पत्र उनके नाम मतदाता सूची से गलत ढंग से काट दिए जाने के संबंध में प्राप्त हुए। जांच में पाया गया कि उपर्युक्त दोनों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं।
जौनपुर के डीएम ने 'एक्स' पर पोस्ट के जरिए बताया कि ईमेल के माध्यम से जनपद जौनपुर की विधानसभा 366 जौनपुर के अंतर्गत पांच मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत प्राप्त हुई थी। सभी पांचों मतदाता वर्ष 2022 के पूर्व ही मृतक हो चुके थे। इसकी पुष्टि संबंधित मृतक मतदाता के परिवार के सदस्यों, स्थानीय लोगों सहित स्थानीय सभासद के द्वारा की गई थी। मृतकों के नाम नियमानुसार हटाए गए हैं। अतः उपर्युक्त वर्णित शिकायत पूर्णतया निराधार और भ्रामक है।
उल्लेखनीय है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि जो चुनाव आयोग ये कह रहा है कि हमें यूपी में समाजवादी पार्टी द्वारा दिए गए एफिडेविट नहीं मिले हैं, वो हमारे शपथपत्रों की प्राप्ति के प्रमाण स्वरूप दी गई अपने कार्यालय की पावती को देख ले। इस बार हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग शपथपत्र दे कि ये जो डिजिटल रसीद हमको भेजी गई है वह सही है, नहीं तो ‘चुनाव आयोग’ के साथ-साथ ‘डिजिटल इंडिया’ भी शक के घेरे में आ जाएगा।
Updated on:
20 Aug 2025 09:14 am
Published on:
20 Aug 2025 09:12 am
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