scriptAnalysis of UP Supplementary Budget 2021 : यूपी चुनाव से पहले योगी ने संविदाकर्मियों पर खेला दांव | Analysis of UP Supplementary budget 2021 | Patrika News

Analysis of UP Supplementary Budget 2021 : यूपी चुनाव से पहले योगी ने संविदाकर्मियों पर खेला दांव

locationलखनऊPublished: Aug 18, 2021 04:19:07 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

Analysis of UP Supplementary budget 2021- अनुपूरक बजट में शिक्षा मित्र, आशा वर्कर व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सैलरी बढ़ाने का इंतजाम

Analysis of UP Supplementary budget 2021
त्वरित टिप्पणी
महेंद्र प्रताप सिंह
Analysis of UP Supplementary budget 2021- योगी आदित्यनाथ ने 7 हजार 301 करोड़ से ज्यादा का अनुपूरक बजट पेश किया। यह योगी आदित्यनाथ का अंतिम बजट है। बजट पूरी तरह से चुनावी है। युवाओं, किसानों के साथ उप्र में बड़ी संख्या में कार्यरत संविदा और मानदेय कर्मचारियों को इस बजट के जरिए खुश करने की कोशिश की गयी है। शिक्षा मित्र, आशा वर्कर, चौकीदार, ग्राम प्रहरी, आंगनबाड़ी सहायक, रोजगार सेवक, प्रांतीय रक्षक दल, रसोइया और कई अन्य विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों और मानदेय कर्मियों के मानदेय को बढ़ाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। उप्र में 1,53,000 शिक्षा मित्र हैं।
आज भी शिक्षा मित्र दस हजार रुपए प्रति माह के वेतन पर गुजारा कर रहे हैं, जो उन्हें एक वर्ष में 11 महीने का ही मिलता है। जून महीने का वेतन नहीं दिया जाता। इसी तरह यूपी में एनएचएम के तहत संविदा पर 16 हजार एएनएम कार्यरत हैं। इन्हें करीब 11 हजार से 13 हजार रुपए मानदेय मिलता है। लंबे समय से यह अपने मानदेय को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। पूरे प्रदेश में 45 हजार के लगभग मनरेगा कर्मचारी हैं। इनमें ग्राम रोजगार सेवक, कंप्यूटर ऑपरेटर, लेखा सहायक और तकनीकी सहायक शामिल हैं। जिसमें 36 हजार रोजगार सेवक हैं। मनरेगा कर्मियों का करीब तीन वर्ष का मानदेय 232 करोड़ रुपए बकाया था। लंबे संघर्ष के बाद मई 2020 में सरकार ने उनके बकाए का भुगतान किया। सरकार ने वादा किया था अब उनका मानदेय नियमित रूप से मिलेगा। लेकिन यह सिर्फ आश्वासन ही था। मनरेगा कर्मियों का मानदेय छह हजार से बढ़ाकर दस हजार करने की घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई है। इससे मनरेगाकर्मी आक्रोशित हैं।
इसी तरह उप्र के विभिन्न निकायों 5000 से ज्यादा सफाई कर्मचारी विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं में काम कर रहे हैं। इन्हें हर महीने आठ हजार रुपए मिलते हैं। यह राशि भी समय से नहीं मिलती। योगी सरकार ने प्रदेश के लाखों संविदा और मानदेयकर्मियों को उनकी सैलरी और मानदेय बढ़ाने के लिए बजट में इंतजाम कर दिया है। लेकिन, चुनाव से पहले रेवड़ी बांटने की कवायद से अन्य कर्मचारियों के लिए भी रास्ता खुल गया है। वे भी अब बेहतर सुविधाएं और सैलरी बढ़ाने की मांग करेंगे। सरकार के लिए सभी को खुश करना आसान नहीं होगा। देखना दिलचस्प होगा कि किसान, नवजवान और कर्मचारियों को चुनावी सौगात क्या योगी की राह को आसान कर पाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो