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कई कंपनियों में है बांके बिहारी की हिस्सेदारी, अप्रैल माह आते ही ठाकुरजी के खाते में आने लगती है करोड़ों की राशि

Banki Bihari Vrindavan-Mathura: भक्ति अटूट होती हैं। आपके सामने इस उदाहरण की एक पेशकश। इन दिनों बांकेबिहारीजी के खाते करोड़ों की राशि पहुंच रही है। ये कोई दान नहीं बल्कि स्वदेशी और विदेशी कंपनियों के वित्तीय वर्ष में हुए उनके मुनाफे की हिस्सेदारी है। दरअसल, लोगों की श्रद्धा इतनी है कि उन्होंने कंपनी में ठाकुरजी को ही अपना पार्टनर बना लिया है।

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लखनऊ

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Snigdha Singh

Apr 06, 2022

Banke Bihariji

Banke Bihari Owning Companies and Getting Crores of Amount in Account

इंसान में अपने ईष्ट देवी-देवताओं के लिए अटूट श्रद्धा होती है। वह नए काम से लेकर हर छोटी बड़ी मुसीबत में भगवान को साथ लेकर चलता है। ऐसे ही कई श्रद्धालु हैं, जिन्होंने बांकेबिहारीजी को अपनी कंपनी का मालिक बना दिया। यही वजह कि ठाकुरजी की न केवल देश में बल्कि विदेशों की कपंनियों में भी हिस्सादारी। नया वित्तीय वर्ष शुरू होते ही यानि अप्रैल में ठाकुरजी के खाते में करोड़ों की धनराशि आने लग जाती है। उत्तर प्रदेश के सभी मंदिरों मे से अधिक चढ़ावा मथुरा-वृंदावन में ही आता है। यहां प्रदेश और दिल्ली का सबसे अधिक चढ़ावा चढ़ता है।

बांकेबिहारी की महिमा निराली है। वे भक्त पर कृपा करते हैं, तो भक्त भी उनकी कृपा को पाकर खुद को कृतार्थ समझते हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर ऑयल का काम करने वाले कारोबोरी हर वर्ष मंदिर में गुप्त दान करते हैं। इसके अलावा दिल्ली के ऐसे ही एक कारोबारी हैं, जिनकी पांच फर्म अलग-अलग संचालित हो रही हैं। कारोबारी ने इन सभी फर्मों में कुछ अंश का पार्टनर बना रखा है। वित्तीय वर्ष के अंत में कंपनियों को जो लाभ होता है, उसका तय फीसद ठाकुर जी के हिस्से में आता है।

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मदरसन सूमी लिमिटेड से पहुंचती है करोड़ की धनराशि

कार के पार्ट्स का कारोबार करने वाले मदरसन सूमी लिमिटेड कंपनी के मालिक चांद सहगल ने अपने आराध्य को कारोबार में पार्टनर बना रखा है। वे हर साल वित्तीय वर्ष की समाप्ति के साथ ही अप्रैल में ठाकुरजी का हिस्सा उन्हें भेंट करने आते हैं। पिछली बार कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन में भी वे अपने आराध्य ठाकुर बांकेबिहारी को नहीं भूले थे। उद्योगपति द्वारा हर वर्ष ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक प्रशासन को दो से ढ़ाई करोड़ रुपए की हिस्सादारी की धनराशि देते हैं। इसके अलावा वृंदावन के कात्यायनी शक्ति पीठ, लाड़लीजी मंदिर और कमेटी में अलग से धनराशि दान करते हैं।

मथुरा-वृंदावन में सबसे अधिक आता है चढ़ावा

मंदिर के प्रबंधन के अनुसार उत्तर प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल, बनारस, अयोध्या सभी मंदिरों में से सबसे अदिक चढ़ावा ठाकुरजी को ही जाता है। यहां हर साल नियमित विदेशी भी चढ़ावा चढ़ाते हैं। सबसे अदिक चढ़ावा दिल्ली और उत्तर प्रदेश से आता है। बांकेबिहारी में हर साल दान देने का सिलसिला 12 वर्ष पहले शुरू हुआ था। समूह दान की राशि में प्रति वर्ष 10 से 15 लाख तक की बढ़ोतरी करता है।

बांकेबिहारी की देहरी से आती हैं चाबियां, तब खुलती हैं दुकानें

बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऐसे हैं, जिन्होंने ठाकुर बांकेबिहारी को अपनी कंपनी में पार्टनर बनाया है। समय-समय पर अपने लाभ का एक निश्चित हिस्सा आराध्य के श्रीचरणों में अर्पित करते हैं। दिल्ली के खारी बावली बाजार से रोज रात में एक श्रद्धालु सारे व्यापारियों के दुकान की चाबियां लेकर चलता है, सुबह ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर की देहरी पर चाबी अर्पित की जाती हैं और फिर चाबियां लेकर दिल्ली जाता है। इसके बाद ही दुकान खुलती हैं।

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हर बार 100-150 ग्राम निकलता सोना

बांके बिहारी मंदिर में स्थापित गोलक से हर बार 100 से 150 ग्राम तक सोने जैसी दिखने वाली वस्तुएं निकलती हैं। कमेटी के प्रबंधक अभिलाष सिंह ने बताया कि गोलक को वकील और जज के सामने खोला जाता है। सोने-चांदी की आने वाली धातुओं की सबसे पहले जांच होती है। इसके बाद बैंक लॉकर में जमा करा दिया जाता है।