
लखनऊ. गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी चौकन्नी हो गई है। सपा-बसपा के संभावित खतरे से निपटने के लिए पार्टी रणनीतिकारों ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक सॉलिड प्लान तैयार कर लिया है। 14 अप्रैल से इस खास प्लान को एग्जीक्यूट करने के लिए भाजपाइयों ने कमर कस ली है। गौरतलब है कि उपचुनाव में भाजपा गोरखपुर और फूलपुर दोनों सीटों पर चारों खाने चित हो गई थी। हार के बाद पार्टी के दिग्गजों ने भी माना था कि भाजपाई सपा-बसपा की सम्मिलित शक्ति को आंकने में चूक गये।
सोमवार को मायावती ने लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित हुए 2019 में सपा-बसपा गठबंधन की बात कही। इससे पहले अखिलेश यादव भी गठबंधन के जरिये भाजपा को हराने की बात कह चुके हैं। सपा-बसपा की जुगलबंदी से होने वाले नुकसान को रोकने के लिये भाजपा उत्तर प्रदेश के सभी मतदान केंद्रों पर ग्राम स्वराज अभियान चलाने जा रही है। भाजपा का यह अभियान 14 अप्रैल से शुरू होकर पांच मई तक चलेगा। बता दें कि भाजपा ने पहले ही 14 अप्रैल से डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर प्रदेश भर में समरसता कार्यक्रम तय कर रखे थे। लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के खतरे को भांपते हुए अब भाजपा प्रदेश भर में ग्राम स्वराज अभियान चलाने जा रही है।
सपा-बसपा, कांग्रेस की तिकड़ी से पार पाने की कोशिश
राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा के ग्राम स्वराज अभियान के पीछे उत्तर प्रदेश की बदली राजनीतिक परिस्थितियां हैं। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस जैसे तीनों प्रमुख दल भाजपा के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। पार्टी रणनीतिकारों को नई चुनौतियों का आभास हो रहा है। इसलिये उत्तर प्रदेश के नये सियासी समीकरणों से पार पाने के लिये भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है।
अभियान में यह होगा खास
ग्राम स्वराज अभियान के तहत भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता व नेता गांव-गांव जाकर दलितों, पिछड़ों को सरकार के काम बताएंगे और उन्हें भाजपा के साथ जोड़ने की कोशिश करेंगे। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी दलितों और पिछड़ों के कल्याण के लिये बूथ स्तर पर कल्याण कार्यक्रम भी आयोजित करेगी। इस अभियान के जरिये पार्टी की कोशिश दलितों-पिछड़ों, गांवों और गरीबों को जोड़ना है।
Updated on:
26 Mar 2018 06:54 pm
Published on:
26 Mar 2018 06:30 pm
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