
अब कोरोना ने गांवों अब गांवों में कहर बरपाना शुरू कर दिया है
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ.Corona Pandemic : शहरों में जांच बढ़ाने और उपचार की सुविधाएं बढ़ने के बाद संक्रमण थमा है और मौतों का सिलसिला रुका है लेकिन अब कोरोना ने गांवों अब गांवों में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। बात चाहे दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा की हो, ब्रज क्षेत्र आगरा की हो या फिर पूर्वांचल के गाजीपुर की। सभी जिलों में गांवों की हालत बहुत खराब है। बुखार आने के बाद लोगों की सांसें फूल रही हैं और एक दो दिन में लोग दम तोड़ दे रहे हैं। लेकिन गांवों में कोविड जांच की कोई सुविधा न होने की वजह से यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि यह मौतें कोविड की वजह से हुई हैं। सरकार भी इन्हें कोविड से मरने वाले आंकड़ों में शामिल नहीं कर रही। लेकिन इतना तय है कि मौतें कोविड के लक्षणों के आधार पर ही हुई हैं। यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोविड के हाल को दर्शाती तीन जिलों की रिपोर्ट-
ग्रेटर नोएडा के गांवों में 14 दिन में 83 मौतें
विभिन्न अखबारों में छपी खबरों के अनुसार दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के विभिन्न गांवों में एक पखवाड़े में 83 लोगों की मौत हुई है। जलालपुर गांव में 14 दिनों में 18 की मौत हुई। ग्रामीणों ने बताया मरने वालों में 6 महिलाएं भी शामिल हैं। गांव में पहली मौत 28 अप्रेल को हुई थी। दो दिन में अतर सिंह के दो बेटों की मौत हो गयी। इसी तरह ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गांव खैरपुर गुर्जर, जलालपुर, मिलक लच्छी और सैनी में पिछले 14 दिन में 65 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकांश बुजुर्ग हैं। अब भी दर्जनों लोग बुखार से पीडि़त हैं।
आगरा के दो गांवों में 20 दिन में 64 की गयी जान
आगरा के दो गांवों में पिछले 20 दिन में 64 लोगों की मौत हो गई। इतनी मौतों के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया और 100 लोगों की कोरोना जांच की गई, जिसमें 27 पॉजिटिव निकले। इसी तरह आगरा से करीब 40 किलोमीटर दूर एत्मादपुर के गांव कुरगवां में 20 दिनों में 14 की मौत हो गयी। इसी तरह बमरौली कटारा की आबादी 40 हजार की आबादी है। गांव के प्रधान के मुताबिक, अब तक यहां करीब 40 लोग की मौत हो गयी।
गाजीपुर के एक गांव में 16 समा गए काल के गाल
गाजीपुर जिले के थाना नंदगंज क्षेत्र के गांव सौरम की प्रधान सीमा जायसवाल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर बताया है कि कोरोना संक्रमण से गांव में 16 लोगों की मौत हो गई है। ग्राम प्रधान ने मरने वालों की सूची सौंपी है।
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लेकिन, मौतों का सही कारण पता नहीं
गांवों में कोविड टेस्टिंग की कोई ठीक व्यवस्था न होने के कारण वास्तविक रूप से यह पता ही नहीं चल पाता कि मौत का कारण कोरोना था या कुछ और। जबकि, लक्षण कोरोना वाले ही होते हैं।
मरने वालों में यह थे लक्षण
ग्रामीणों के मुताबिक जो भी लोग मरे, उन्हें पहले बुखार आया, उसके बाद उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा। जबकि, राज्य के विभिन्न गांवों में जो लोग बीमार हैं उन्हें खांसी-बुखार और सिरदर्द-बदन दर्द की शिकायत है।
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पंचायत चुनावों ने किया बेड़ा गर्क
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनावों ने बेड़ागर्क किया। चुनाव के बाद से ही लोग बड़ी संख्या में बीमार पडऩे लगे और मौतों का सिलसिला शुरू हुआ।
बड़ा सवाल
गांवों में मरने वाले लोगों की कोई टेस्टिंग नहीं हो रही है तब क्या बुखार से होने वाली सभी मौतों को कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े में गिना जा रहा है।
Published on:
12 May 2021 02:22 pm
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