28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उत्तर प्रदेश पुलिस अब रखेगी अपराधियों का रेटिना से लेकर डीएनए तक डाटा, जानिए क्या है नया विधेयक

Criminal Procedure Identification Bill: उत्तर प्रदेश पुलिस अब अपराधियों का रेटिना से डीएनए तक डाटा रखेगी। इससे न केवल अपराधियों की पहचान में आसानी बल्कि खोजने में भी सहजता रहेगी। लोकसभा में आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक एक स्वर में पास हो गया है।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Snigdha Singh

Apr 06, 2022

Criminal Procedure Identification Bill 2022 Pass UP Police Take Data

Criminal Procedure Identification Bill 2022 Pass UP Police Take Data

लोकसभा में सोमवार को एक मत और एक स्वर में सभी के सहयोग से आपराधिक प्रकिया पहचान विधेयक 2022 (Criminal Procedure Identification Bill) पास हो गया। सदन में विपक्ष ने मांग की थी कि बिल को जांच के लिए पार्लियामेंट्री कमेटी या सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। इस पर देश के गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने अपने बयान कहा कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाएगा। लेकिन इसमें जानने वाली बात ये है कि बिल में आखिर ऐसा क्या है, जिसपर विपक्ष एकजुटता से विरोध कर इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की बात कर रहा है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार इसका बखान करते नहीं थक रही है। इसलिए सबसे पहले आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक को समझना जरूरी है।


क्या है आपराधिक पहचान विधेयक 2022?
अपराधियों और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने की दृष्टि से इस विधेयक प्रस्ताव रखा गया। मोदी सरकार की तरफ से लाया गया आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022, 120 साल पुराने अपराधियों के पहचान कानून 1920 की स्थान पर आएगा। इस नए अधिनियम के मुताबिक प्रदेश की पुलिस अपराधियों, गिरफ्तार आरोपियों और मुजरिमों के बारे में पहले से ज्यादा जानकारी या डेटा जुटा पाएगी। यह विधेयक पुलिस और जेल अधिकारियों को यह अनुमति देगा कि हिरासत में लिए गए आरोपी और अपराधियों के रेटिना, आईरिस स्कैन के बायोलॉजिकल सैंपल का संग्रह कर उसका विश्लेषण करें। इसके पहले 1920 वाले कानून में मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार, पुलिस अधिकारियों को अपराधियों के फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट, और तस्वीरें लेने का प्रावधान था।

यह भी पढ़े -वाह लेखपाल साहब! कमाई के लिए जिंदा किसान को दिखा दिया मुर्दा, दूसरी नाम कर दी वरासत

कब तक और कैसे सुरक्षित रहेगा डेटा
विधेयक तो पास हो गया लेकिन अब लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठेगा कि आखिर जो डेटा पुलिस रिकॉर्ड के तौर पर रखा जाएगा वह कितने दिन या सालों तक सुरक्षित रहेगा। बता दे कि नए बिल में यह प्रावधान है कि अपराधियों का डेटा 75 साल तक सुरक्षित रखा जाएगा। अपराधियों के इस डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की होगी।

आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक का क्या तर्क है
लोकसभा में सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए ये आश्वस्त किया कि सरकार वह हर जरूरी कदम उठाएगी। जिससे इस कानून का दुरुपयोग न हो। बिल पास होने से पहले गृह मंत्री ने अपने उत्तर में कहा कि हम ये आश्वस्त करते हैं जांच अधिकारी अपराधियों से दो कदम आगे रहेंगे। हालांकि विपक्ष ने मानवाधिकार को लेकर प्रश्न उठाए।

यह भी पढ़े - एटीएस निशाने पर कैसे आया था मूतर्जा, क्या है खाड़ी देशों से कनेक्शन