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UP Tourism Hub : पूर्वांचल में धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बनेगा दुर्वासा ऋषि आश्रम

UP Tourism Durvasa Rishi Ashram: उत्तर प्रदेश सरकार ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। आज़मगढ़ जनपद स्थित प्राचीन दुर्वासा ऋषि आश्रम को पूर्वांचल का प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए 1 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। इस योजना से न केवल धार्मिक पर्यटन को नई पहचान मिलेगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार को भी बल मिलेगा।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 03, 2025

आजमगढ़ में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई पहचान, विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ की धनराशि स्वीकृत (फोटो सोर्स :Whatsapp)

आजमगढ़ में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई पहचान, विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ की धनराशि स्वीकृत (फोटो सोर्स :Whatsapp)

UP Tourism Hub Development: उत्तर प्रदेश सरकार ने धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास और उन्नयन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए आज़मगढ़ जनपद स्थित प्राचीन दुर्वासा ऋषि आश्रम को पूर्वांचल का प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने की योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री पर्यटन स्थलों के विकास कार्यक्रम के अंतर्गत इस परियोजना के लिए 01 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस कदम से न केवल प्रदेश को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं का विकास

मंत्री ने बताया कि दुर्वासा ऋषि आश्रम के आसपास पर्यटक सुविधाओं के विकास की योजना बनाई गई है। इसके तहत श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए विश्राम गृह एवं धर्मशालाएँ, सड़क और प्रकाश व्यवस्था,स्वच्छ पेयजल और शौचालयों की व्यवस्था,नदी संगम क्षेत्र में घाटों का सौंदर्यीकरण,और धार्मिक आयोजनों हेतु मंच व सुविधा केंद्र तैयार किए जाएंगे।इन सुविधाओं से पर्यटकों के लिए आस्था और श्रद्धा का माहौल और बेहतर होगा तथा पूर्वांचल के धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिलेगा।

आजमगढ़: ऋषि-मुनियों की धरती

मंत्री ने कहा कि आजमगढ़ की धरती प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। यहाँ तीन महान ऋषियों , महर्षि दुर्वासा, दत्तात्रेय और चंद्रमा ऋषि के धाम स्थित हैं। यही कारण है कि इस जिले को "ऋषि-मुनियों की धरती" कहा जाता है। दुर्वासा ऋषि आश्रम, जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है। यह स्थल तमसा और मंजूषा नदी के संगम पर बसा हुआ है, जो पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं का जीवंत उदाहरण है।

मेले और धार्मिक आयोजन

यहाँ प्रतिवर्ष सावन और कार्तिक मास सहित विभिन्न पर्वों पर विशाल मेले का आयोजन होता है। विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित तीन दिवसीय मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं।पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन तमसा-मंजूषा नदी के संगम पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि यह स्थान आस्था का प्रमुख केंद्र है।

महर्षि दुर्वासा की साधना स्थली

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि दुर्वासा 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से यहाँ आए और कई वर्षों तक साधना की। उनका यह आश्रम सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग में भी श्रेष्ठ स्थान माना जाता रहा। महर्षि दुर्वासा को ऋषियों में "क्रोध के देवता" के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनके आश्रम में साधना और ज्ञान का वातावरण आज भी भक्तों और आगंतुकों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

पर्यटन और अर्थव्यवस्था का नया आयाम

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि आजमगढ़ जिले में पहले से ही कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है, जैसे चंद्रमा मुनि आश्रम,दत्तात्रेय मंदिर,भंवर नाथ मंदिर,अवंतिकापुरी धाम, नागा बाबा सरोवर,मेहनगर किला,निज़ामाबाद स्थित गणेश और माँ दुर्गा मंदिर।इनके अलावा दुर्वासा ऋषि आश्रम को विकसित करने से जिले का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

पर्यटकों की बढ़ती संख्या

पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में 15,82,855 से अधिक पर्यटक आजमगढ़ आए थे।वहीं, वर्ष 2025 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में ही 3,25,841 से अधिक पर्यटक यहाँ पहुँचे। यह आंकड़ा बताता है कि आजमगढ़ तेजी से एक उभरता हुआ पर्यटन केंद्र बन रहा है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय व्यवसाय, जैसे होटल, परिवहन, हस्तशिल्प और स्थानीय बाज़ारों को भी लाभ मिल रहा है।

स्थानीय युवाओं को रोजगार

दुर्वासा ऋषि आश्रम के विकास से स्थानीय युवाओं के लिए नए अवसर पैदा होंगे। पर्यटक गाइड, होटल व लॉज संचालन, परिवहन सेवाएँ, हस्तशिल्प और स्मृति चिह्नों की बिक्री, और धार्मिक आयोजनों से जुड़े रोजगार सीधे तौर पर स्थानीय लोगों को लाभ पहुँचाएँगे।

पूर्वांचल को मिलेगा पर्यटन का नया केंद्र

आजमगढ़ में धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की विविधता पहले से ही मौजूद है। दुर्वासा ऋषि आश्रम का विकास इसे पूर्वांचल का प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बनाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि यहाँ के धार्मिक स्थलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जोड़ा जाए, ताकि विदेशी पर्यटक भी इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हों।