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Navratri Fasting Food FSDA Raid : नवरात्र में बिक रहा नकली आलू: एफएसडीए की बड़ी कार्रवाई, 46 बोरी आलू और संदिग्ध घी जब्त

Navratri Food Scam: नवरात्रि के दौरान आलू की बढ़ती मांग का फायदा उठाते हुए व्यापारी पुराने आलू को केमिकल और रंग से नया बनाकर बेच रहे हैं। लखनऊ में एफएसडीए टीम की छापेमारी में 46 बोरी (2300 किलो) रंगे आलू जब्त हुए। साथ ही संदिग्ध घी और अन्य खाद्य पदार्थों के नमूने भी सीज किए गए।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Sep 29, 2025

नवरात्र में नकली आलू का कारोबार उजागर, लखनऊ मंडी से 46 बोरी जब्त (फोटो सोर्स : Whatsapp)

नवरात्र में नकली आलू का कारोबार उजागर, लखनऊ मंडी से 46 बोरी जब्त (फोटो सोर्स : Whatsapp)

Navratri Fake Potatoes Busted in Lucknow: नवरात्रि के पावन पर्व में जहां भक्तगण उपवास और सात्विक भोजन का विशेष ध्यान रखते हैं, वहीं कई व्यापारी लोगों की आस्था और सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। ताज़ा आलू के नाम पर बाजारों में नकली और खतरनाक आलू बेचे जा रहे हैं। पुराने आलू को रसायनों और कृत्रिम रंगों की मदद से नया बना दिया जाता है और ऊंचे दामों पर ग्राहकों को परोसा जा रहा है। इस खेल का खुलासा रविवार को हुआ, जब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ( FSDA ) की टीम ने लखनऊ की दुबग्गा सब्जी मंडी में छापेमारी कर 46 बोरी (करीब 2300 किलो) रंगे हुए आलू बरामद किए।

पुराने आलू पर रंग का इस्तेमाल

टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि नवरात्र में मांग बढ़ने के चलते कई व्यापारी पुराने आलू को केमिकल से धोकर और रंग चढ़ाकर नया आलू बता रहे हैं। जब अधिकारी दुबग्गा मंडी पहुंचे और आलुओं की जांच की, तो पाया कि आलुओं पर कृत्रिम लाल रंग चढ़ा हुआ है। यह रंग आलू की सतह को चमकदार और ताज़ा दिखाने के लिए लगाया गया था। टीम ने मौके पर ही आलू का परीक्षण किया और रसायन की पुष्टि होने पर 46 बोरी आलू जब्त कर लिए।

दाम में भारी अंतर से हो रहा था मुनाफाखोरी

जांच से पता चला कि पुराना आलू 20 रुपये किलो के हिसाब से खरीदा जा रहा था। उस पर केमिकल का प्रयोग कर उसे नया आलू बताकर 50 रुपये किलो तक बेचा जा रहा था। यानी ग्राहक न केवल सेहत से खिलवाड़ झेल रहे थे, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी ठगा जा रहा था।

जिलेभर में छापेमारी, बड़े स्टोर्स भी घेरे में

इस कार्रवाई के बाद विभाग की टीम ने पूरे जिले में अन्य सब्जी मंडियों, कोल्ड स्टोरेज और बड़े रिटेल स्टोर्स का निरीक्षण किया। नवीन मंडी स्थल, सीतापुर रोड पर आलू की गहन जांच की गई, लेकिन वहां रंगे आलू की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद चिनहट स्थित कोल्ड स्टोरेज का निरीक्षण किया गया। टीम ने शहर के अन्य हिस्सों में भी छापेमारी कर संदिग्ध खाद्य पदार्थों पर नजर रखी।

घी पर भी गिरी गाज: 2.93 लाख का स्टॉक सीज

आलू के अलावा टीम ने खाद्य तेल और घी की भी जांच की। कमला नेहरू रोड स्थित न्यू शक्ति देसी घी स्टोर पर रखे 29 टिन (कुल 435 लीटर) घी की गुणवत्ता संदिग्ध पाई गई। मौके से घी के तीन नमूने जांच के लिए लिए गए और पूरा स्टॉक सीज कर दिया गया। जब्त घी की कीमत करीब 2.93 लाख रुपये आंकी गई।

21 नमूने जांच के लिए भेजे गए

टीम ने एक ही दिन में 21 अलग-अलग खाद्य पदार्थों के नमूने जांच के लिए संग्रहित किए। इनमें घी, बेसन, खोवा, सरसों तेल, पनीर आदि शामिल हैं। अलीगंज स्थित रिलायंस रिटेल लिमिटेड से घी, बेसन, खोवा और सरसों तेल के नमूने लिए गए। घनश्याम डेरी, अलीगंज से पनीर, राजाजीपुरम स्थित इंडियन दूध डेरी एंड स्वीट्स से पनीर और घी, हर्ष जनरल स्टोर से बेसन और ए.एस. फैमिली स्टोर से घी के नमूने लिए गए।

सहायक आयुक्त ने दी जानकारी

सहायक आयुक्त (खाद्य) विजय प्रताप सिंह ने बताया कि जब्त किए गए आलू और घी का कुल मूल्य 3.23 लाख रुपये है। सभी नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद दोषी व्यापारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है केमिकल आलू?

खाद्य विशेषज्ञों का कहना है कि आलू पर कृत्रिम रंग और केमिकल लगाने से यह जहरीला हो सकता है। इन आलुओं के सेवन से पेट दर्द, उल्टी-दस्त, त्वचा संबंधी रोग और लंबे समय में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उपवास के दौरान जहां लोग हल्का और शुद्ध भोजन करना चाहते हैं, वहीं ऐसे नकली आलू उनके स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकते हैं।

आस्था से खिलवाड़, ग्राहकों की चिंता

नवरात्रि में आलू की खपत सामान्य दिनों से कहीं अधिक बढ़ जाती है। आलू फलाहार और व्रत में बनने वाले अधिकांश व्यंजनों का अहम हिस्सा है। यही कारण है कि व्यापारी इस अवसर को मुनाफाखोरी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्राहक जब असली और नकली आलू की पहचान नहीं कर पाते, तो मजबूर होकर उन्हें बाजार में उपलब्ध आलू ही खरीदना पड़ता है।

सरकार और विभाग की चुनौती

खाद्य सुरक्षा विभाग की यह कार्रवाई निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। लखनऊ ही नहीं, आसपास के जिलों और छोटे कस्बों में भी इस तरह की मिलावटखोरी चल रही है। जब तक कठोर निगरानी और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक लोग पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते।

उपभोक्ताओं के लिए सतर्कता जरूरी

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि उपभोक्ताओं को आलू खरीदते समय सावधान रहना चाहिए। यदि आलू असामान्य रूप से चमकीले या लाल रंग में दिखाई दें, तो समझ लेना चाहिए कि उसमें रंग मिलाया गया है। सामान्य आलू का रंग हल्का भूरा या धूसर होता है और उसकी सतह पर हल्की गंदगी रह सकती है। बहुत ज़्यादा साफ और चमकदार आलू अक्सर कृत्रिम रसायनों से तैयार किए जाते हैं।