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Gayatri Prajapati: लखनऊ जेल में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर हमला, सिर में चोट – सुरक्षा पर उठे सवाल

Gayatri Prajapati Ex Minister: लखनऊ केंद्रीय जेल में सोमवार को बड़ा हंगामा देखने को मिला, जब समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री व चर्चित कैदी गायत्री प्रसाद प्रजापति पर सफाई ड्यूटी कर रहे बंदी ने हमला कर दिया। घटना में प्रजापति के सिर पर चोटें आईं और उन्हें जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Sep 30, 2025

Gayatri Prajapati (फोटो सोर्स : Whatsapp )

Gayatri Prajapati (फोटो सोर्स : Whatsapp )

Gayatri Prajapati Jail Attack: उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से चर्चित नाम रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार कारण चुनावी राजनीति या कोई बयान नहीं, बल्कि जेल के भीतर उन पर हुआ हमला है। लखनऊ केंद्रीय कारागार में सफाई ड्यूटी कर रहे एक बंदी ने सोमवार को उन पर हमला कर दिया, जिससे उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं। हालांकि डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि उनकी हालत खतरे से बाहर है, लेकिन घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

सफाई ड्यूटी से शुरू हुआ विवाद

जेल सूत्रों के अनुसार घटना सुबह उस समय घटी जब बंदी अपनी नियमित सफाई ड्यूटी कर रहा था। इसी दौरान उसकी बहस गायत्री प्रजापति से हो गई। आरोप है कि विवाद इतना बढ़ा कि बंदी ने उन पर हमला कर दिया। सूत्रों का कहना है कि प्रजापति ने गाली-गलौज की, जिससे झगड़ा बढ़ गया। देखते-देखते हाथापाई की नौबत आ गई और पूर्व मंत्री घायल हो गए।

कैंची से वार की चर्चा, प्रशासन ने किया खारिज

हमले के तुरंत बाद चर्चा फैल गई कि बंदी ने प्रजापति पर कैंची से वार किया है। कई स्थानीय सूत्रों ने भी यही दावा किया। लेकिन जेल प्रशासन ने इस बात का खंडन किया है। अधिकारियों के मुताबिक, “झगड़ा जरूर हुआ और उसमें चोट भी लगी, मगर कैंची से हमला किए जाने की पुष्टि नहीं हुई है।”

अस्पताल में भर्ती, हालत स्थिर

घटना के बाद जेल प्रशासन ने तुरंत डॉक्टरों को बुलाया और प्रजापति को जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने बताया कि सिर पर चोट आई है, परन्तु यह जीवन के लिए खतरे वाली नहीं है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है और चिंता की कोई बात नहीं है।

आरोपी बंदी हिरासत में

हमले की सूचना मिलते ही जेल प्रशासन ने आरोपी बंदी को हिरासत में ले लिया। उससे पूछताछ की जा रही है, ताकि विवाद की जड़ और घटनाक्रम का सही-सही पता लगाया जा सके। प्राथमिक जांच में पता चला है कि बंदी की ड्यूटी के दौरान ही दोनों के बीच कहासुनी शुरू हुई थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती चली गई।

चर्चाओं में आया मामला

गायत्री प्रजापति पहले से ही संवेदनशील कैदी माने जाते हैं। उन पर कई गंभीर आरोपों में सजा हो चुकी है और वे लंबे समय से कारागार में बंद हैं। ऐसे में जेल परिसर के भीतर उनके साथ हुआ यह विवाद प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। सवाल यह है कि आखिर क्यों सुरक्षा के इतने प्रबंधों के बावजूद बंदियों के बीच इस तरह की घटनाएं होती हैं।

राजनीतिक हलकों में हलचल

जेल के भीतर पूर्व मंत्री पर हुए हमले की खबर ने राजनीतिक हलचल भी बढ़ा दी है। सपा नेताओं का कहना है कि प्रशासन उन्हें पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पा रहा है। वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि जेल प्रबंधन की लापरवाही लगातार सामने आ रही है, जिससे कैदियों की जान पर खतरा मंडराता रहता है।

संवेदनशील कैदी क्यों कहलाते हैं प्रजापति?

गायत्री प्रसाद प्रजापति उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे। अखिलेश सरकार में उन्होंने खनन मंत्रालय संभाला था। उनके कार्यकाल में खनन घोटाले और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। इसके साथ ही उन पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हुए, जिनमें दुष्कर्म का मामला सबसे चर्चित रहा। कोर्ट से सजा मिलने के बाद से ही वे जेल में हैं और विशेष निगरानी वाले कैदियों में गिने जाते हैं।

सुरक्षा पर सवाल

जेलों में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं, जब बंदियों के बीच आपसी विवाद हिंसा का रूप ले लेता है। लेकिन इस बार मामला इसलिए बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इसमें एक पूर्व मंत्री शामिल हैं। उनके साथ हुआ यह विवाद न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि जेल प्रशासन कितनी सतर्कता बरतता है।

अधिकारियों का रुख

जेल प्रशासन ने कहा है कि घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक सामान्य विवाद था जो बढ़ गया। अधिकारियों ने दावा किया कि जेल में सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है और किसी भी बंदी को जानबूझकर खतरे में नहीं छोड़ा जाता।

विशेषज्ञों की राय

जेल सुधार से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि कैदियों के बीच आपसी झगड़े आम बात हैं, लेकिन उच्च-प्रोफाइल कैदियों के मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए। क्योंकि ऐसे मामलों से न केवल उनकी जान को खतरा होता है, बल्कि पूरे जेल प्रशासन की छवि पर भी असर पड़ता है।